षड्यंत्रकारियों की लीला से तो कुबेर देवता भी हैरान हैं-पारसमणि जैन
आज समाज को नरक और पाप का भयंकर भय समझाकर खूब लूटा जा रहा है, जरा विचार कीजिए जो लोग जनता को पुण्य और पाप समझा रहे हैं वही लोग आगम विरुद्ध षड्यंत्र रचकर कितने पुण्य के भागीदार बन रहें हैं।
प्रवचन भी- *उच्च कुल में जन्म लिया* ऐसे-ऐसे लुभाने वाले प्रवचन करते हैं कि स्वयं कुबेर भी रीझ जाये लेकिन इनको यह भी पता होना चाहिए कि यही उच्च कुल वाले सैकड़ों जातियों की जूठन साफ करके अपना और अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं।
दान लेने के नाम पर झोलियां और बोलियां चल रही है हद तो यहाॅं तक हो चुकी है कि शांतिधारा के नाम पर लूट-खसूट चल रही है कभी सोच-विचार किया कि जिस मूर्ति की शांतिधारा बोलियों द्वारा की जा रही है उसी मूर्ति और उसी मंदिर के लिए किसी गरीब ने भी बिना शर्त के दो रूपए का दान दिया था। लूट-खसोट के लिए तो कुछ चैनल भी पीछे नहीं है आज टीवी चैनलों की बहार आ गई है, इसके लिए भी चंद दल्लों द्वारा ही सेटिंग संभव है। बड़े- बड़े प्रोग्रामों के लिए जाने कहां-कहां से करोड़ों के चंदे का धंधा किया जाता है लेकिन चंदे के धंधे में से खर्चे के लेन-देन का हिसाब तो कुबेर की समझ में भी नहीं आता जब कुबेर जैसे देवता भी इन षड्यंत्रकारियों की लीला से हैरान हैं तो हमारी तुम्हारी क्या औकात हो सकती है।–पारसमणि जैन *ज्योतिष विचारक एवं एडिटर इन चीफ* दिल्ली, मो -9718544977