आचार्य विद्यासागर विश्वविद्यालय की स्थापना की जाय-विद्वत्परिषद्
आचार्य विद्यासागर विश्वविद्यालय की स्थापना की जाय – विद्वत्परिषद्
इन्दौर। 27 फरवरी । श्रमण संस्कृति के महान आचार्य के नाम पर ‘‘आचार्य विद्यासागर विश्वविद्यालय’’ की स्थापना की जाय। ये विचार देश के मूर्धन्य विद्वानों ने एक वर्चुअल मीटिंग में एक स्वर में सभी ने रखे। बुधवार को विद्वानों की प्रतिष्ठित संस्था ‘श्री अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत् परिषद्’ के तत्त्वावधान में आयोजित आचार्य श्री विद्यासागर विनयांजलि समारोह में रखे गये। परिषद् के यशस्वी अध्यक्ष प्रोफेसर भागचन्द्र जैन ‘भास्कर’ की अध्यक्षता में सम्पन्न इस सभा में प्रथम वक्ता के रूप में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष व डीन और परिषद् के संरक्षक प्रोफेसर प्रेम सुमन जैन, उदयपुर ने आचार्य श्री विद्यासागर मुनिराज के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उनके नाम पर विश्वविद्यालय की स्थापना की मांग व सुझाव रखा, जिसकी सभा में जुड़े हुए सभी विद्वानों ने अपने अपने वक्तव्यों पुरजोर समर्थन व अनुमोदना की। दिनांक 17-18 फरवरी 2024 की मध्यरात्रि को समाधिपूर्वक मुक्तिपथ की ओर महाप्रयाण कर गये आचार्य श्री विद्यासागर जी के प्रति विनयांजलि देते हुए विद्वत् परिषद् के महामंत्री डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’ ने बताया कि- आचार्य श्री विद्यासागर जी मूकमाटी महाकाव्य जैसे हिन्दी-संस्कृत भाषाओं में अनेक शतक-काव्य, पद्यानुवाद, काव्यसंग्रह, प्रवचनसंग्रह आदि के प्रणेता थे। उन्होंने 131 मुनिराज, 172 आर्यिका माताजी, 57 एलक, 122 क्षुल्लक, 3 क्षुल्लिका जी को दीक्षा प्रदान की। उन्होंने स्वदेशी जागरण के क्षेत्र में अलख जगाते हुए कई हथकरघा-उद्योग स्थापित करने की प्रेरणा दी। वे उन्होंने भारत को इण्डिया नहीं भारत कहो के आन्दोलन को आशीर्वाद और मार्गदर्शन दिया।
डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’
22/2, रामगंज, जिंसी, इन्दौर
मो. 9826091247