क्षत्रिय राजपूत कुल में जन्में बालक गंगाधर प्रधान से वैज्ञानिक धर्माचार्य श्री कनकनंदी जी गुरुराज का महान सफर
आज से 68 वर्ष पूर्व उड़ीसा के ब्रह्मपुरी उत्कल में क्षत्रिय राजपूत कुल के श्रीमान मोहन जी प्रधान के घर में जन्मा अद्वितीय बालक गंगाधर प्रधान जो वर्तमान जैन दर्शन के महाज्ञानी,अत्यंत निस्पृह,सर्वाधिक भाषाओं के ज्ञाता,सर्वाधिक 13000 से अधिक आध्यात्मिक काव्य के रचियाता,410 से अधिक ग्रंथो के रचना कर चुके है,वर्तमान में सर्वाधिक जैन श्रमणो के शिक्षा गुरु है “वैज्ञानिक धर्माचार्य श्री कनकनंदी जी गुरुराज”50वर्षो का लगभग संन्यास जीवन जिसमे 45 वर्ष मुनि दीक्षा के हो चुके है।
जो आज अपने संघ सहित एकांत छोटे छोटे लघु ग्राम में प्रवास विहार करते है,पांच प्रकार के स्वाध्याय को छोड़कर सदेव मौन रहते है,देश विदेश से अनेक उच्च शिक्षाविद वैज्ञानिक,प्रोफेसर,न्यायाधीश व जिज्ञासु आपसे धर्म – दर्शन – विज्ञान से संबंधित गहन से गहन विषय पर ज्ञानार्जन व मार्गदर्शन लेने आते है।
पूज्य गुरुदेव ऐसी विलक्षण प्रतिभा है,जो पूरे विश्व में दुर्लभ है ।
आप पिछले दो दशकों से राजस्थान के मेवाड़ व वागड़ क्षेत्रों में विहार करते हुए विश्व व्यापी अहिंसामई धर्म व आध्यात्म की प्रभावना कर रहे है
संपर्क सूत्र -+919049108355 पंकज जी जैन, वर्षायोग स्थल गांव – पारडा ईटीवार,आसपुर ,राजस्थान उदयपुर से 98 किमी दूर स्थित है।