Paras Punj

Main Menu

  • होम
  • देश
  • विदेश
  • राज्य
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • खेल
  • ज्योतिष
  • हेल्थ
  • धर्म-कर्म
  • लेख-विचार
  • अपराध
  • राजनीति
  • शिक्षा

logo

Paras Punj

  • होम
  • देश
  • विदेश
  • राज्य
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • खेल
  • ज्योतिष
  • हेल्थ
  • धर्म-कर्म
  • लेख-विचार
  • अपराध
  • राजनीति
  • शिक्षा
लेख-विचार
Home›लेख-विचार›तांत्रिक नहीं धन की तंगी से तंग लोग हैं -पी.एम.जैन

तांत्रिक नहीं धन की तंगी से तंग लोग हैं -पी.एम.जैन

By पी.एम. जैन
October 13, 2018
1618
0
Share:
👉”कर कुकर्म चाहा कल्याणा ऐसा प्रभु क्या—–जाना”
नई दिल्ली -: आज के आधुनिक दौर में अनपढ़ लोग क्या पढ़े-लिखे लोग भी मात्र साधु भेषधारी व मदारी जैसे टुच्चे तांत्रिकों के चंगुल में फँसते नजर आते हैं|आज की मानव जाति का जन्म कर्मभूमि पर हुआ है जिसके लिए कर्म करना अत्यन्त आवश्यक है लेकिन आज का मानव तांत्रिकों के माध्यम से भोगभूमि के सुख भोगना चाहता है जोकि मुमकिन नहीं है|यह यथार्थ सत्य है कि अगर कर्मभूमि पर कोई भगवान या अवतार भी जन्म लेगा तो उसे भी कर्मभूमि के नियमानुसार कर्म करके ही स्वयं का पेट भरना पडेगा|
तांत्रिकों  को प्रोत्साहन  और अंध
विश्वास फैलाने में मीडिया का सहयोग भी कुछ कम नहीं है!आज-मानवता को भूलकर कुछ अखबारों का मूल उद्देश्य मात्र धन कमाना ही रह गया है जोकि निजी अखबारों के माध्यम से तांत्रिकों के अनगिनत विज्ञापन प्रकाशित करते हैं जिनमें नि:संतान को संतान प्राप्ति, सौतन से छुटकारा,कारोबार में उन्नति, मन चाहा प्यार और प्यार में इजाफा इत्यादि जैसी बकवासी बातें अंकित होती हैं जो आज की नवयुवा पीढ़ी को भटकाती हैं|
मित्रों मेरी निम्नलिखित बातें सदैव याद रखना-
1-ग्रहचक्र ही समयचक्र है ग्रहचक्र अनुसार अपनी दिनचर्या में परिवर्तन करो तो जीवन परिवर्तित हो जायेगा! इसीलिए हमारे पूर्वज एक कहावत सदियों से कहते आये हैं कि–“समय से पहले और भाग्य से ज्यादा कुछ नहीं मिलता”जोकि ज्योतिषीय मतानुसार यथार्थ सत्य है! ज्योतिष विद्या का महत्व भी समय गणना तक ही सीमित है ना कि झाडफूक!
2-ज्योतिष तो सिर्फ एक चिंगारी है,ज्योत तो स्वयं ही जलानी होगी!
3- झाड़फूक कराने या किसी तांत्रिक के चँगुल में फँसने से पहले मरीज को किसी चिकित्सालय में अवश्य दिखाऐं क्योंकि कोई मानसिक-शारीरिक रोग हो सकता है!
4- ज्योतिषी तो सिर्फ आने वाले या वर्तमान में चल रहे अच्छे-बुरे या सम समय(ग्रह-नक्षत्र)के समयानुसार गणना ही कर सकता है! 👉कहने का तात्पर्य है कि- ज्योतिषीय परामर्श या उपायों के माध्यम से कर्मक्षेत्र सम्बम्धित सोये हुए व्यक्ति को जगाया जा सकता है, ज्योतिष बैठे हुए को खड़ा तो कर सकता लेकिन अनुकूल समय से पहले उसे चला नहीं सकता और चलते हुए व्यक्ति को कुछ शनै: गति से ही सही लेकिन दौड़ा सकता है और शनै:गति से दौड़ने वाले की तीव्र गति कर सकता है! जानकारी के लिए बता दें कि उपरोक्त स्थिति प्रतिकूल परिस्थिति में जागने वाले व्यक्तियों के साथ अधिकतर लागू होती हैं, और जो व्यक्ति अनुकूल समय में भी समय-समय पर ज्योतिषीय परामर्श लेते रहते हैं👉 उन व्यक्तियों को ज्योतिषी द्वारा पहले से ही सचेत कर दिया जाता है और अग्रिम उपाय दिये जाते हैं! प्रतिकूल परिस्थितियों में फँसने के बाद व्यक्ति का ज्योतिष विद्या के सम्पर्क में आना कुछ % ही सही लेकिन उसे बिल्कुल तबाह होने से बचा भी सकता है बशर्ते वह  व्यक्ति उपायों हेतु निष्ठावान और सात्विक होना चाहिए!
5- ज्योतिषीय परामर्श या उपायों का प्रभाव मेरे मतानुसार लगभग 30% +या –हो सकता है किन्तु 💯% करने हेतु तो कोई माँ का लाल कलयुग में ऐसा नहीं जन्मा जो ग्रहों के प्रभाव को जड़ से समाप्त कर सके! इसीलिए हमारे पूर्वज एक और कहावत सदैव कहते आये हैं कि”जो होना है वह तो होकर रहेगा” लेकिन उपायों या परामर्श से अच्छे-बुरे का रूप छोटा-बड़ा हो सकता है|
6- याद रखना👉कि युग चाहे कोई भी रहा हो लेकिन इस रत्नप्रभा पृथ्वी पर असधारण या साधारण से किसी भी व्यक्ति(जीवमात्र) ने जन्म लिया है वह जीवमात्र(व्यक्ति) ग्रहचक्र की ग्रहचाल से अछूता नहीं रहे सका!👉ध्यान केन्द्रित करने योग्य बात तो यह है कि ग्रहचक्र की अच्छी-बुरी या सम चाल के प्रभाव से  स्वयं सृष्टि रचयिता भी इस पृथ्वी पर जन्म लेने के उपराँत “कर्म” किये बिना स्वयं का जीवन यापना नहीं कर सके तो हम जैसों की क्या औकात है! लेकिन आज धनाढ्यता हासिल करने की दौड़ में मुझसे कोई आगे न निकल जाये इसके लिए कुछ अनपढ़ क्या पढ़े-लिखे लोग भी टुच्चे और मदारी किस्म के तांत्रिकों की चौखटों पर सब न्यौछावर करने को तत्पर रहते हैं और होली-दिवाली उटपटांग के उपाय आदि गली-चौराहों पर करते फिरते हैं जोकि सर्वथा निन्दनीय और अनुचित हैं  जरा विचार कीजिए-
इतिहास या धार्मिक ग्रंथ उठाकर और पढ़कर देखिए-साहिब अच्छे-अच्छे धर्मधुरन्दर कर्मयोगियों ने हम से ज्यादा सुख-दु:ख झेले हैं लेकिन सुख-दु:ख के दिनों में परम पूज्य उन महापुरूषों ने अपने मूलकर्तव्यों (मूलधर्म) को कदापि नहीं छोड़ा क्योंकि वह महापुरुष जानते भी थे और समझते भी थे कि👉अगर 70-80 या 100 किलो के मानव शरीर में एक छोटे से छोटे तिनके के बाराबर की फाँस शरीर में कहीं भी घुस जाये तो जीवन जीना अव्यवस्थित कर देती है उसी भाँति किसी मानव के जीवन में छोटे से छोटा (फाँस) पाप उदय में आता है तो उसका जीवन तबाह कर देता है|
धार्मिक भाषा में मेरी तो एक कहावत है-
👉किसी विद्वान ने भी बिल्कुल सही कहा है कि-“कर कुकर्म चाहा कल्याणा ऐसा प्रभु क्या अनजाना जाना”
देश की सरकार को ऐसे गुमराह और भटकाने वाले विज्ञापनों पर रोक लगानी चाहिए|
देश की जनता विचार करे कि👉रावण से बड़ा तांत्रिक,ज्योतिषी,पंडित और वैद्य इस भूमि पर पैदा नहीं हुआ और ना ही होगा लेकिन रावण ने युद्ध के दौरान भगवान राम पर तांत्रिक विद्याओं का प्रयोग तक नहीं किया क्योंकि वह महाविद्याधर जानता था कि तांत्रिक क्रियाऐं धर्म विरूद्ध कार्य नहीं करती अगर धर्म विरूद्ध कार्य करती तो रावण को भगवान राम से युद्ध करने की जरूरत ही नहीं पड़ती|
👉बन्धुओं भगवान राम की तो बात छोड़िऐं माता सीता जी के हरण के लिए वह रावण, लक्ष्मण जी द्वारा खींची गई रेखा में प्रवेश तक नहीं कर सका था|माता सीता के हरण के लिए रावण ने साधुभेष धारण करके मात्र छल-कपट ही किया था, उसी भाँति आज के दौर में कुछ साधु महात्मा साधुभेष में धर्म के नाम पर, तंत्र के नाम पर,जादू-टोना, नजर-टोटका के नाम पर, अदृश्य शक्तियों के नाम पर देश की भोलीभाली जनता के साथ छल-कपट ही कर रहे हैं और हरण इंसानियत व धर्मिक बुनियाद का हो रहा है |
देश की जनता निम्नलिखित बिंदुओं पर विचार विमर्श करे-:
👉1: कलयुग में भी अगर सतयुग और द्वापर युग जैसी शक्तियाँ विद्यमान हैं तो कलयुग में “मोक्ष” सम्भव क्यों नहीं है?
👉2-: सतयुग व द्वापर युग में जो साधुसंत जंगलों में पेडो़ के नीचे,पहाडो़ं के ऊपर ,गुफाओं में,घास-फूँस की कुटिया इत्यादि में साधनारत रहते थे वह आज कलयुग में उपरोक्त स्थानों पर साधनारत क्यों नहीं हैं? क्योंकि उन सच्चे व ईमानदार साधुसंतों को पता है कि कलयुग में मोक्ष और चमत्कार सम्भव नहीं है|
👉3-: कलयुग में कोई भी विद्वान से विद्वान और तपस्वी से तपस्वी साधुसंत “आगम”क्यों नहीं लिख सकता है? क्योंकि कलयुग में मोक्ष नहीं मात्र मोक्षमार्ग है|
👉देश की जनता उपरोक्त 3 बिंदुओं से ही  समझ सकती है कि जब कलयुग के “मानव शरीर” को उपरोक्त स्थानों पर भयंकर गर्मी, बरसात और सर्दी के प्राकृतिक प्रकोप को सहन करते हुए तपस्चार्या करने की शक्ति नहीं है तो फिर वह व्यक्ति महाशक्तियों से परिपूर्ण अदृश्य शक्तियों का स्वामी कैसे हो सकता है?
आज अधिकाँश लोग साधुभेष में तांत्रिक,ज्योतिषी या पंड़ित बनकर हमारे महान महाऋषियों, पूर्वजों एवं पूज्वरों की तंत्र -मंत्र-यंत्र जैसी महान विद्या की मात्र डुगडुगी बजाकर धन की तंगी को दूर करते हुए स्वयं की उदरपूर्ति के साथ-साथ भौतिक सुख-साधन जैसी सुख-सुविधाऐं जुटाने में जुटे हैं-👉पी.एम.जैन “ज्योतिष विचारक” एवं एडिटर इन चीफ“पारस पुँज”न्यूज नई दिल्ली!मोबाइल-9718544977
Previous Article

राष्ट्रीय पद्मावती पुरवाल संघ द्वारा असहयोग आन्दोलन ...

Next Article

पाकिस्तानी पीएम इमरान ने पूर्व पीएम शरीफ ...

0
Shares
  • 0
  • +
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0

Related articles More from author

  • लेख-विचार

    बेटी भगवान की बुराई सुन सकती है लेकिन पापा की नहीं ! संकलन👉 पी.एम.जैन

    December 16, 2018
    By पी.एम. जैन
  • लेख-विचार

    मन से विकारों का कचरा हटाकर ही हम स्वच्छ हो सकते हैं:- पंडित लघुनन्दन जैन

    September 7, 2019
    By पी.एम. जैन
  • लेख-विचार

    धर्म के सर्वोच्च संत करें शिथिलाचारी संतों का उपचार

    October 7, 2018
    By admin
  • लेख-विचार

    धर्म ईश्वर में है या ईश्वर ही धर्म है?👉डॉ निर्मल जैन (से.निवृ.जज)

    November 25, 2019
    By पी.एम. जैन
  • लेख-विचार

    विशुद्ध प्रेम की वीणा की झंकार परमात्मा की वाणी से कम नहीं-डा.निर्मल जैन(से.नि.जज)

    March 6, 2020
    By पी.एम. जैन
  • लेख-विचार

    आज का इतिहास गवाह है- पी.एम.जैन

    October 26, 2018
    By पी.एम. जैन

  • आवश्यक सूचना

    पारस पुॅंज की परम संरक्षिका श्रीमती सत्यवती जैन का आकस्मिक निधन

  • धर्म-कर्म

    सम्यग्दर्शन के साथ शुचिता ही उत्तम शौच है – आचार्य अतिवीर मुनि

  • धर्म-कर्म

    विद्या-वसु श्रावकाचार अनुशीलन राष्ट्रीय युवा विद्वत संगोष्ठी संपन्न

ताजा खबरे

  • 17 जनवरी को शनिदेव का कुम्भ राशि में प्रवेश जानिए शुभाशुभ योग
  • वैदिक ज्योतिष से जानिए इन पांच कारणों से आती है नौकरी-बिजनेस में बाधा, ये हो सकते हैं उपाय
  • दिखाओ चाबुक तो झुक कर सलाम करते हैं, हम वो शेर हैं जो सर्कस में काम करते हैं।-डॉ. निर्मल जैन (जज)
  • श्री सम्मेद शिखर जी प्रकरण- नवबर्ष पर समस्त जैन समाज की पहली जीत
  • 🌺नव वर्ष संकल्प🌺 नए साल को एक नयी परिपाटी प्रारंभ करें-डॉ.निर्मल जैन(जज से.नि.)
  • शास्त्रि-परिषद का विद्वत् शिक्षण प्रशिक्षण शिविर का द्वितीय दिवस
  • अहिंसा संविधान की मूल भावना-अशोक गहलोत मुख्यमंत्री (राजस्थान)
  • अंग्रेजी नूतन वर्ष 2023 पर विशेष : कलेंडर बदलिए अपनी संस्कृति नहीं -डॉ सुनील जैन, संचय, ललितपुर
  • शिखर जी प्रकरण पर संत गर्जना- जनबल से झुकती है सरकार, 18 दिसम्बर को लालकिला मैदान पर आओ 50 हजार
  • पांच सौ वर्षों के बाद नवरंगपुर मुनिराजों का मंगलप्रवेश

Find us on Facebook

विज्ञापन

मेन्यू

  • होम
  • देश
  • विदेश
  • राज्य
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • खेल
  • ज्योतिष
  • हेल्थ
  • धर्म-कर्म
  • लेख-विचार
  • अपराध
  • राजनीति
  • शिक्षा

ताजा खबरे

  • 17 जनवरी को शनिदेव का कुम्भ राशि में प्रवेश जानिए शुभाशुभ योग
  • वैदिक ज्योतिष से जानिए इन पांच कारणों से आती है नौकरी-बिजनेस में बाधा, ये हो सकते हैं उपाय
  • दिखाओ चाबुक तो झुक कर सलाम करते हैं, हम वो शेर हैं जो सर्कस में काम करते हैं।-डॉ. निर्मल जैन (जज)
  • श्री सम्मेद शिखर जी प्रकरण- नवबर्ष पर समस्त जैन समाज की पहली जीत
  • 🌺नव वर्ष संकल्प🌺 नए साल को एक नयी परिपाटी प्रारंभ करें-डॉ.निर्मल जैन(जज से.नि.)
  • शास्त्रि-परिषद का विद्वत् शिक्षण प्रशिक्षण शिविर का द्वितीय दिवस
  • अहिंसा संविधान की मूल भावना-अशोक गहलोत मुख्यमंत्री (राजस्थान)
  • अंग्रेजी नूतन वर्ष 2023 पर विशेष : कलेंडर बदलिए अपनी संस्कृति नहीं -डॉ सुनील जैन, संचय, ललितपुर
  • Home
  • Contact Us