Paras Punj

Main Menu

  • होम
  • देश
  • विदेश
  • राज्य
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • खेल
  • ज्योतिष
  • हेल्थ
  • धर्म-कर्म
  • लेख-विचार
  • अपराध
  • राजनीति
  • शिक्षा

logo

Paras Punj

  • होम
  • देश
  • विदेश
  • राज्य
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • खेल
  • ज्योतिष
  • हेल्थ
  • धर्म-कर्म
  • लेख-विचार
  • अपराध
  • राजनीति
  • शिक्षा
लेख-विचार
Home›लेख-विचार›इंटरनेट की मंडी़ में सब कुछ बिकता है

इंटरनेट की मंडी़ में सब कुछ बिकता है

By पी.एम. जैन
October 17, 2018
429
0
Share:

“बिना खोट का पशु तो घर के खूँटा पर ही बिक जाता  है”- पी.एम.जैन

नई दिल्ली -: आज के दौर में इंटरनेट ने देश को इतना डिजिटल बना दिया कि दफ्तरों से लेकर सब्जी मंडी,अनाज मंडी, पशु मंडी़ अर्थात सभी व्यापारिक मंडी इंटरनेट मंडी से जुड़ी हैं | व्यापारियों का इंटरनेट मंडी़ से जुड़े रहने का मुख्य कारण व्यापार वृद्धि है ! जिसके अन्तर्गत दुकानदारी अधिक हो,लाभ अधिक हो, मार्केट वैल्यू में तरक्की इत्यादि जैसे अनेक पहलू हैं| इंटरनेट संसारिक व्यवस्था के लिए बहुत ही फायदेमंद है| लेकिन …..

इंटरनेट पर “पशु मंड़ी” के विज्ञापन देखकर पशु खरीदना हितकारी नही है क्योंकि पशु की खासियत अर्थात गुणवत्ता अपनी नजरों के सामने हाथ फेरने और दूध निकालने पर ही पता चलती है | पशु मेला में अधिकाँश वही पशु बिक्री के लिए जाते हैं जिनमें कोई खोट होता है | “बिना खोट का पशु तो घर के खूँटा पर ही बिक जाता हैं” उसकी खूबियों की चर्चा तो नगर-नगर, शहर-शहर में स्वत: ही फैल जाती है | जैसे- मनुष्य जाति में अच्छे ख़ानदान और सभ्यता पूर्ण परिवार की बहू-बेटी की चर्चा कहीं ना कहीं, किसी ना किसी के मुखार बिंदु से सुनने को मिल ही जाती है| ……उसी भाँति

आजकल इंटरनेट पर साधु बाजार भी मार्केट वैल्यू के चक्कर में अपनी चरम सीमा पर है जबकि इस बाजार का, नाम -दाम जैसी “चंचला लक्ष्मी” से कुछ भी लेना-देना नहीं है|

संसार से विरक्त व्यक्ति(साधु) जिसने स्वयं की आत्मा के कल्याण के वास्ते घर-परिवार, जमीन-व्यापार अर्थात सब कुछ न्यौछावर कर दिया उसका संसारिक और सामाजिक झंझटों में क्या उलझना ! साधु-महात्माओं का संसार से केवल इतना ही मतलब है कि “आत्मज्ञान प्राप्त होने के उपरान्त वह स्वयं के कल्याण के साथ -साथ दूसरों का भी कल्याण करें अर्थात स्व-पर का कल्याण करें| एक सच्चे और वास्तविक साधु-महात्माओं की वास्तविक पहचान तो यही है, ऐसे साधु-महात्माओं को स्वयं के प्रचार -प्रसार और विज्ञापन इत्यादि के लिए इंटरनेट जैसी मंड़ी व बाजारों की जरूरत नहीं पड़ती वह तो चारों तरफ स्वत: ही पूज्यनीय हो जाते हैं |

Previous Article

धर्म के नाम पर हो रहा है ...

Next Article

राजकपूर की पत्नी श्रीमती कृष्णा राज कपूर ...

0
Shares
  • 0
  • +
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0

Related articles More from author

  • लेख-विचार

    लड़ने के बाद क्षमा माँगने की परम्परा क्यों?👉 क्षुल्लिका ज्ञानगंगा जी

    September 3, 2020
    By पी.एम. जैन
  • लेख-विचार

    अंग्रेजी नूतन वर्ष 2023 पर विशेष : कलेंडर बदलिए अपनी संस्कृति नहीं -डॉ सुनील जैन, संचय, ललितपुर

    December 28, 2022
    By पी.एम. जैन
  • लेख-विचार

    *💦व्यवहार की दुकान💦*

    December 23, 2018
    By पी.एम. जैन
  • लेख-विचार

    प्रार्थना मजबूरी में ली जाने वाली दवा या जीवन-दायनी आक्सीजन?

    December 8, 2019
    By पी.एम. जैन
  • लेख-विचार

    नीबू की एक बूंद दूध की मिठास को दही की खटास में परिवर्तित कर देती है-डा.निर्मल जैन “जज साहब”

    July 11, 2020
    By पी.एम. जैन
  • लेख-विचार

    फटाफट विचार 👌-P.M.JAIN

    August 4, 2019
    By पी.एम. जैन

  • सम्पादकीय

    आत्मनिर्भर अभियान के नाम पर, इंस्पेक्टर निर्भरता से ग्रस्त है देश की राजधानी दिल्ली – P.M.JAIN

  • देश

    दिगंबर जैन सोशल ग्रुप फेडरेशन द्वारा आचार्य विद्यासागर महाराज के जन्म जयंती के अवसर पर 75001संजीवनी मास्क का वितरण।

  • जैन समाचार

    राष्ट्रीय यंग जैना अवार्ड में अनूठा एवं आत्मीय सम्मान पाकर अभिभूत हुई प्रतिभाएं

ताजा खबरे

  • 17 जनवरी को शनिदेव का कुम्भ राशि में प्रवेश जानिए शुभाशुभ योग
  • वैदिक ज्योतिष से जानिए इन पांच कारणों से आती है नौकरी-बिजनेस में बाधा, ये हो सकते हैं उपाय
  • दिखाओ चाबुक तो झुक कर सलाम करते हैं, हम वो शेर हैं जो सर्कस में काम करते हैं।-डॉ. निर्मल जैन (जज)
  • श्री सम्मेद शिखर जी प्रकरण- नवबर्ष पर समस्त जैन समाज की पहली जीत
  • 🌺नव वर्ष संकल्प🌺 नए साल को एक नयी परिपाटी प्रारंभ करें-डॉ.निर्मल जैन(जज से.नि.)
  • शास्त्रि-परिषद का विद्वत् शिक्षण प्रशिक्षण शिविर का द्वितीय दिवस
  • अहिंसा संविधान की मूल भावना-अशोक गहलोत मुख्यमंत्री (राजस्थान)
  • अंग्रेजी नूतन वर्ष 2023 पर विशेष : कलेंडर बदलिए अपनी संस्कृति नहीं -डॉ सुनील जैन, संचय, ललितपुर
  • शिखर जी प्रकरण पर संत गर्जना- जनबल से झुकती है सरकार, 18 दिसम्बर को लालकिला मैदान पर आओ 50 हजार
  • पांच सौ वर्षों के बाद नवरंगपुर मुनिराजों का मंगलप्रवेश

Find us on Facebook

विज्ञापन

मेन्यू

  • होम
  • देश
  • विदेश
  • राज्य
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • खेल
  • ज्योतिष
  • हेल्थ
  • धर्म-कर्म
  • लेख-विचार
  • अपराध
  • राजनीति
  • शिक्षा

ताजा खबरे

  • 17 जनवरी को शनिदेव का कुम्भ राशि में प्रवेश जानिए शुभाशुभ योग
  • वैदिक ज्योतिष से जानिए इन पांच कारणों से आती है नौकरी-बिजनेस में बाधा, ये हो सकते हैं उपाय
  • दिखाओ चाबुक तो झुक कर सलाम करते हैं, हम वो शेर हैं जो सर्कस में काम करते हैं।-डॉ. निर्मल जैन (जज)
  • श्री सम्मेद शिखर जी प्रकरण- नवबर्ष पर समस्त जैन समाज की पहली जीत
  • 🌺नव वर्ष संकल्प🌺 नए साल को एक नयी परिपाटी प्रारंभ करें-डॉ.निर्मल जैन(जज से.नि.)
  • शास्त्रि-परिषद का विद्वत् शिक्षण प्रशिक्षण शिविर का द्वितीय दिवस
  • अहिंसा संविधान की मूल भावना-अशोक गहलोत मुख्यमंत्री (राजस्थान)
  • अंग्रेजी नूतन वर्ष 2023 पर विशेष : कलेंडर बदलिए अपनी संस्कृति नहीं -डॉ सुनील जैन, संचय, ललितपुर
  • Home
  • Contact Us