विवाहिताओं से सम्बन्ध बनाना अपराध नहीं -सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली -: विवाहिता से सम्बन्ध को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 27 सितम्बर को बड़ा ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले समलैंगिकता पर फैसला सुनाया था लेकिन अब कोर्ट ने व्यभिचार को भी अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है। बता दें कि अभी तक शादीशुदा (विवाहित) महिला से अभिव्यक्त या मौन सहमति के बिना व्यभिचार करना दण्डनीय अपराध था। इस अपराध में दोषी पाया गये व्यक्ति को कारावास या अर्थदण्ड या दोनों दण्ड से दण्डित किया जाता था। लेकिन अब देश की उच्चतम न्यायालय अर्थात सुप्रीम कोर्ट ने इसको अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है।
जानकारी के लिए बता दें कि महिला और पुरुष के बीच गैर व्यक्ति से सम्बन्ध बनाने से जुड़ी IPC की धारा 497 को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली इस संविधान खंड़पीठ ने कहा कि महिला के साथ गलत व्यवहार नहीं किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब एक शादीशुदा (विवाहित) महिला आपसी सहमति से किसी गैर मर्द के साथ सम्बन्ध बना सकती है। और इसे अपराध की श्रेणी में नहीं माना जायेगा। साथ ही साथ एक शादीशुदा पुरूष भी आपसी सहमति से किसी शादीशुदा महिला के साथ सम्बन्ध बना सकता है।