Paras Punj

Main Menu

  • होम
  • देश
  • विदेश
  • राज्य
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • खेल
  • ज्योतिष
  • हेल्थ
  • धर्म-कर्म
  • लेख-विचार
  • अपराध
  • राजनीति
  • शिक्षा

logo

Paras Punj

  • होम
  • देश
  • विदेश
  • राज्य
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • खेल
  • ज्योतिष
  • हेल्थ
  • धर्म-कर्म
  • लेख-विचार
  • अपराध
  • राजनीति
  • शिक्षा
जैन समाचार
Home›जैन समाचार›अनूठे अंकबद्ध सिरि भूवलय सिद्धान्त ग्रन्थ में प्राकृत गाथासूत्र (प्राकृत णिव्वाण भत्ती) भाग-2

अनूठे अंकबद्ध सिरि भूवलय सिद्धान्त ग्रन्थ में प्राकृत गाथासूत्र (प्राकृत णिव्वाण भत्ती) भाग-2

By पी.एम. जैन
June 17, 2020
347
0
Share:
अनूठे अंकबद्ध सिरि भूवलय सिद्धान्त ग्रन्थ में प्राकृत गाथासूत्र (प्राकृत णिव्वाण भत्ती)
भाग-2
-डाॅ.महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’, इन्दौेर, 9826091247
सिरिभूवलय आश्चर्यान्वित करदेने वाला अद्भुत ग्रन्थ है। आठवीें-नवमी शताब्दी में दिगम्बराचार्य कुमुदेन्दु द्वारा लिखा गया यह अपने आप में अनूठा ग्रन्थ मात्र अंकचक्रों में निबद्ध है। इसमें 1 से 64 तक के अंकों को लिया गया है। एक अंकचक्र में 27 काॅलम खड़े और 27 काॅलम पड़े, इस तरह से कुल 729 खाने बनाये गये हैं, उनमें विशेषविधि से अंक लिखे गये हैं। इस तरह के 1270 अंकचक्र उपलब्ध हैं जिनमें 59 अध्यायात्मक मंगल प्राभृत गर्भित है। ये अध्याय वण्र्यमान सभी विषयों का सूत्ररूप में संकेत करते हैं। 1270 अंकचक्रों से ही विशेष विधि से लगभग 16000 अंकचक्र बनेंगे और करीब आठ लाख श्लोक बनेंगे, जिनसे सभी विषय, भाषाएँ, धर्म, कला, विज्ञान व्यवस्थित रूप से पूर्ण विवेचित होंगे।
यह ग्रन्थ आज के विज्ञान के लिये भी चुनौती है। इसमें 18 महाभाषाएँ और 700 लघु भाषाएँ गर्भित हैं। एक तरह के ही अंकचक्रों को अलग अलग तरह से पढ़ने पर विभिन्न भाषाएँ निसृत होतीं हैैं। जिस तरह भगवान् महावीर की देशना सर्वभाषामयी होती है- ‘‘दश अष्ट महाभाषा समेत, लघुभाषा सातशतक सुचेत।’’ ठीक इसी तरह इस ग्रन्थ में भी सभी भाषाएँ, सभी विषय, 363 मत, 64 कलाएँ और विज्ञान विवेचित है।
बैंगलौर के पं.यल्लप्पा शास्त्री ने आ.देशभूषण जी के सान्निध्य में सिरिभूवलय का प्रारंभिक कार्य किया था। 1957 में उनके देहान्त हो जाने के बाद फिर इसका कार्य आगे नहीं बढ़ सका। तभी से इसे पढ़ने की विशेष विधि ज्ञात करने के अनेक प्रयत्न हुए हैं; किन्तु विफल रहे हैं। हमने इस पर अप्रैल 2001 से विधिवत् कार्य प्रारम्भ करके पढ़ने की विशिष्ट रीति ज्ञात कर बंध खोलने में सफलता प्राप्त कर ली है। जब हमने यह कार्य प्रारंभ किया था उस समय हमारे पास कुछ अंकचक्रों के अतिरिक्त कोई सामग्री उपलब्ध नहीं थी, अब तो पर्याप्त सामग्री आ चुकी है। इस अनूठे कार्य को करने में मेरी गति हो गई है यह देखकर कुछ नामी-गिरामी विद्वानों ने बहुत कठिनाइयां उत्पन्न की, अभी भी ऐेसे लोग लोकेषणा में लगे हैं। वह कथा हम कई भागों में अवश्य प्रकाशित करेंगे कि नामची विद्वान ऐसे-ऐसे कुकृत्य भी कर सकते हैं। अभी तो इसमें जो प्राकृत के गाथासूत्र निकल रहे हैं उन्हें क्रम से देखें। पं. यल्लप्पा शास्त्री जी के हाथ के किये कार्य के दो पृष्ठ भी प्रस्तुत हैं।
Previous Article

क्षपकराज मुनि श्री सहिष्णुसागरजी महाराज की समाधि

Next Article

सिरि भूवलय में प्राकृत गाथासूत्र

0
Shares
  • 0
  • +
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0

Related articles More from author

  • जैन समाचार

    आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज पहुँचे वैशाली

    May 23, 2020
    By पी.एम. जैन
  • जैन समाचार

    सातवां अखिल भारतीय जैन बैंकर्स कॉन्फ्रेंस सफलता पूर्वक सम्पन्न हुकुमचंद नहीं करमचंद बनें : आचार्य श्री ज्ञानसागर जी

    October 20, 2019
    By पी.एम. जैन
  • जैन समाचार

    करीब 1300 कि•मी• की पद यात्रा करके पटना पधारेंगे जैन संत आचार्य विशुद्ध सागर महाराज -प्रवीण जैन

    March 18, 2020
    By पी.एम. जैन
  • जैन समाचार

    दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद की पांचवी कार्यकारिणी सभा की बैठक संपन्न।

    August 21, 2019
    By पी.एम. जैन
  • जैन समाचार

    सेठ महेन्द्र कुमार जैन ने कोरोना पीडित सहायतार्थ दिया एक लाख का चैक

    July 1, 2021
    By पी.एम. जैन
  • जैन समाचार

    भारतवर्ष की समस्त जैन समाज का भारत सरकार से विनम्र निवेदन

    January 28, 2019
    By पी.एम. जैन

  • प्रवचन

    धर्म के बिना किसी का कल्याण नहीं हो सकता है:आचार्य विमदसागर मुनिराज

  • जैन समाचार

    कोरोना ने धावा बोला विद्यासागर चातुर्मास स्थली पर

  • बिजनेस

    जैन समुदाय की सफलता का मंत्र है – लर्न, अर्न और रिटर्न

ताजा खबरे

  • 17 जनवरी को शनिदेव का कुम्भ राशि में प्रवेश जानिए शुभाशुभ योग
  • वैदिक ज्योतिष से जानिए इन पांच कारणों से आती है नौकरी-बिजनेस में बाधा, ये हो सकते हैं उपाय
  • दिखाओ चाबुक तो झुक कर सलाम करते हैं, हम वो शेर हैं जो सर्कस में काम करते हैं।-डॉ. निर्मल जैन (जज)
  • श्री सम्मेद शिखर जी प्रकरण- नवबर्ष पर समस्त जैन समाज की पहली जीत
  • 🌺नव वर्ष संकल्प🌺 नए साल को एक नयी परिपाटी प्रारंभ करें-डॉ.निर्मल जैन(जज से.नि.)
  • शास्त्रि-परिषद का विद्वत् शिक्षण प्रशिक्षण शिविर का द्वितीय दिवस
  • अहिंसा संविधान की मूल भावना-अशोक गहलोत मुख्यमंत्री (राजस्थान)
  • अंग्रेजी नूतन वर्ष 2023 पर विशेष : कलेंडर बदलिए अपनी संस्कृति नहीं -डॉ सुनील जैन, संचय, ललितपुर
  • शिखर जी प्रकरण पर संत गर्जना- जनबल से झुकती है सरकार, 18 दिसम्बर को लालकिला मैदान पर आओ 50 हजार
  • पांच सौ वर्षों के बाद नवरंगपुर मुनिराजों का मंगलप्रवेश

Find us on Facebook

विज्ञापन

मेन्यू

  • होम
  • देश
  • विदेश
  • राज्य
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • खेल
  • ज्योतिष
  • हेल्थ
  • धर्म-कर्म
  • लेख-विचार
  • अपराध
  • राजनीति
  • शिक्षा

ताजा खबरे

  • 17 जनवरी को शनिदेव का कुम्भ राशि में प्रवेश जानिए शुभाशुभ योग
  • वैदिक ज्योतिष से जानिए इन पांच कारणों से आती है नौकरी-बिजनेस में बाधा, ये हो सकते हैं उपाय
  • दिखाओ चाबुक तो झुक कर सलाम करते हैं, हम वो शेर हैं जो सर्कस में काम करते हैं।-डॉ. निर्मल जैन (जज)
  • श्री सम्मेद शिखर जी प्रकरण- नवबर्ष पर समस्त जैन समाज की पहली जीत
  • 🌺नव वर्ष संकल्प🌺 नए साल को एक नयी परिपाटी प्रारंभ करें-डॉ.निर्मल जैन(जज से.नि.)
  • शास्त्रि-परिषद का विद्वत् शिक्षण प्रशिक्षण शिविर का द्वितीय दिवस
  • अहिंसा संविधान की मूल भावना-अशोक गहलोत मुख्यमंत्री (राजस्थान)
  • अंग्रेजी नूतन वर्ष 2023 पर विशेष : कलेंडर बदलिए अपनी संस्कृति नहीं -डॉ सुनील जैन, संचय, ललितपुर
  • Home
  • Contact Us