टोंक राजस्थान!! 14 दिसम्बर। ज्योतिष शास्त्र वेदों का अभिन्न अंग है जो आदिकाल से मानव विकास में महत्वपूर्ण रहा है। प्राचीन ग्रन्थों में वहारगिरी आर्य भट्ट जैमेनि पद्वतियों कृष्णामूर्ति पद्धतियों में शोध हुये है। जिनसे नये आयाम सामने आये है। वैज्ञानिकों द्वारा भी यही सिद्ध किया गया है। कालान्तर में यह विद्या लुप्त होती गई व सीमित हो गई। जिसका वर्तमान समय में गहन अध्ययन व शोध किया जा रहा है जो मानव जीवन का अभिन्न अंग मार्ग दर्शक के रूप में बन गया है।
उक्त विचार पं. हनुमान प्रसाद बोहरा टोंक द्वारा कुमारी मनु की 24 वंी पुण्यतिथि पर आयोजित 10 दिवसीय नि:शुल्क परामर्श शिविर में शुक्रवार को कार्यालय सुभाष बाजार टोंक में मुख्य वक्ता के पद से व्यक्त किये। समारोह के मुख्य अतिथि दुर्गालाल गोस्वामी पुजारी मातेश्वरी कंकाली माता मंदिर टोंक द्वारा सभी को मातेश्वरी की ओर से आर्शीवाद व शुभकामनाऐ दी। समारोह की अध्यक्षता मनीष तोषनीवाल अध्यक्ष पुलिस जवाब देह समिति ने की। विशिष्ठ अतिथि डॉ. एन. के. शर्मा, डॉ. जे. सी. गहलोत, ब्रिगेडियर सुशील शर्मा, पं. नाथूलाल शर्मा, पं. महावीर प्रसाद जोशी हैदराबाद थे। समारोह के प्रारंभ में अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलित कर शुभारंभ किया। जिनका संस्था निदेशक बाबूलाल शास्त्री, चैप्टर अध्यक्ष बंसतीलाल चौधरी, आचार्य डॉ. पवन सागर शर्मा, सचिव पं. ओमप्रकाश राजोरा, पं. जगदीश नारायण शर्मा, पं. मदनलाल शर्मा, एस. एन. गंगवारिया, कन्हैयालाल नामा द्वारा माल्यार्पण कर दुपट्टा ओढ़ाकर स्वागत किया।
समारोह में दुर्गालाल गोस्वामी मुख्य अतिथि को शॉल ओढ़ाकर साफा बंधवाकर मातेश्वरी का स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
बाबूलाल शास्त्री द्वारा ज्योतिष परिचर्चा में ज्योतिष की कालगणना की जानकारी दी एवं बताया कि वैज्ञानिकों द्वारा मौसम की जानकारी यांत्रिक द्वारा ली जाती है। किन्तु ज्योतिष गणना ग्रह नक्षत्रों अनुसार समय से पूर्व ही जानकारी दे देता है। विशिष्ठ अतिथियों द्वारा ज्योतिष के महत्व पर प्रकाश डाला एवं बताया कि बाबूलाल शास्त्री द्वारा इस क्षैत्र में शोध कर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। आयोजित नि:शुल्क परामर्श शिविर में ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाभ उठाना चाहिए। अध्यक्षता कर रहे मनीष तोषनीवाल ने अपने सम्बोधन में कहा कि वर्तमान सयम में ज्योतिष/ वास्तु शास्त्र के अनुसार दोष निवारण एवं समाधान की जानकारी आवश्यक है। समारोह में डॉ. गंगाराम चौहान, पं. महावीर शर्मा, हेमन्त शर्मा, सुरेश शर्मा, रामफूल प्रजापति, सेवानिवृत व्याख्याता सागरमल साहू, चिरन्जीलाल गुर्जर, पं. रामकरण शर्मा, सुरेश विजयवर्गीय, पं. विष्णु शर्मा, पं. गिरधारी शर्मा, बुद्धिप्रकाश साहू, अनिल विजय आदि ने भाग लिया।