ज्योतिष👉बसन्त पंचमी महाशुभ योग
टोंक 24 जनवरी । माघ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी से बसन्त का शुभारंभ होता है, जिसमें मां सरस्वती की आराधना के साथ साथ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, मांगलिक कार्यों एवं विवाह आदि का विशेष अबुझ मुहुर्त योग होता है, इस वर्ष पंचमी तिथि 29 जनवरी बुधवार को प्रात: 10.46 बजे से 30 जनवरी गुरुवार दोपहर 1.20 बजे तक रहेगी पंचमी तिथि का योग दो दिन रहेगा, दोनों ही दिन पंचमी तिथि पूर्वाह्न व्यापिनी बनीहै धर्म सिन्धु मुहुर्त चिन्तामणी आदि ग्रन्थों अनुसार चतुर्थी तिथि युक्त पंचमी होने से 29जनवरी बुधवार को बसंत पंचमी मनाना शास्त्र सम्मत है। चन्द्र देव उत्तराभाद्रपदा नक्षत्र मीन राशि में 29 जनवरी को दिन में 12.13 बजे से प्रारंभ होकर 30 जनवरी को दोपहर 3.12 बजे तक है। नक्षत्र स्वामी शनि देव राशि स्वामी देव गुरु बृहस्पति है जो स्व राशि मकर एवं धनु में विचरण कर रहे हैं, मंगल अपनी स्व राशि वृश्चिक में बुध शुक्र अपने मित्र शनि की मकर एवं कुंभ में विचरण कर रहे हैं, जिनका शनि देव के साथ सूर्य, बुध, शनि से द्वादश भाव में बृहस्पति, द्वितीय शुक्र एवं शनि से मंगल एकादश भाव में, है इन ग्रहों का योग शनि से तीस वर्ष बाद बना है जो शनि के साथ आध्यात्मिक, पराविज्ञान, कर्म एवं न्याय के क्षेत्र में उत्तम योग के साथ-साथ शुभ मांगलिक कार्यों विवाह आदि के साथ साथ पूजा-अर्चना एवं विधा आररभ का उत्तम योग बना है।
मनु ज्योतिष एवं वास्तु शोध संस्थान टोक के निदेशक बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि वर्ष में चार नवरात्रा होते हैं जिसमें माघ शुक्ल के गुप्त नवरात्रा 25 जनवरी से तीन फरवरी तक होंगे, जिसमें बसन्त पंचमी में मां सरस्वती की आराधना, भगवान विष्णु की पूजा, अनुष्ठान के साथ साथ शिव एवं शक्ति की पूजा करने, तान्त्रिक क्रियाये शक्ति, महाकाल की पूजा-अर्चना इच्छा पूर्ति तथा सिद्धि प्राप्त करने का अति उत्तम योग है। बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि बसन्त पंचमी का दिन विवाह। मांगलिक कार्यों हेतु अबूझ मुहुर्त है, जो नो रेखा भी है, अत: इस दिन व्यापार आदि नये कार्यों के शुभारंभ के साथ साथ मन्दिरों में प्राण प्रतिष्ठा मकान की नींव, नये मकान में प्रवेश वाहन मशीनरी खरीदने के लिए शुभाशुभ एवं विशेष फल दायक है।
मनु ज्योतिष एवं वास्तु शोध संस्थान टोक के निदेशक बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि वर्ष में चार नवरात्रा होते हैं जिसमें माघ शुक्ल के गुप्त नवरात्रा 25 जनवरी से तीन फरवरी तक होंगे, जिसमें बसन्त पंचमी में मां सरस्वती की आराधना, भगवान विष्णु की पूजा, अनुष्ठान के साथ साथ शिव एवं शक्ति की पूजा करने, तान्त्रिक क्रियाये शक्ति, महाकाल की पूजा-अर्चना इच्छा पूर्ति तथा सिद्धि प्राप्त करने का अति उत्तम योग है। बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि बसन्त पंचमी का दिन विवाह। मांगलिक कार्यों हेतु अबूझ मुहुर्त है, जो नो रेखा भी है, अत: इस दिन व्यापार आदि नये कार्यों के शुभारंभ के साथ साथ मन्दिरों में प्राण प्रतिष्ठा मकान की नींव, नये मकान में प्रवेश वाहन मशीनरी खरीदने के लिए शुभाशुभ एवं विशेष फल दायक है।