{जिज्ञासा ज्ञान को बढ़ाती है: आचार्य विरागसागर}
जिज्ञासा ज्ञान को बढ़ाती है: आचार्य विरागसागर
श्रोता बुद्धिमान तथा मंदबुद्धि दो प्रकार के होते हैं। हित मित प्रिय वचन बोलने वाले साधु धन्य है जिज्ञासा रखने वाले को 4 नहीं 100 बार समझाउंगा ऐसा जलबिंदु महाकाव्य में पूज्य आचार्य श्री (इसके रचयिता ) ने लिखा भी है। विराग विद्यापीठ भिण्ड में संघ सहित चातुर्मास रत राष्ट्रसंत गाणाचार्य विरागसागर मुनिराज ने नए युग को आध्यात्मिक क्रांति का संदेश देते हुए परमात्म प्रकाश में कहा कि सोए को उठाना सरल है पर सोने के बहाने करके लेटे हुए को जगाना मुश्किल है। साधु कमाते नहीं पर आराम से भोजन करते हैं। पर निकट से देखो तो वे 24 घंटे धर्म ध्यान व साधना में निरत रहते हैं। व्यस्ततम समय में से पूजा-दर्शन के लिए समय निकाल कर निकालना भी महत्वपूर्ण है। जिज्ञासु उपदेश श्रवण के समय दूसरे को ना देखना चाहते हैं ना सुनना। वैज्ञानिक शोध के समय सुध बुध खो देते हैं, जिज्ञासा हो तो विद्या गुरु के मुख से शिष्य के मस्तक मैं सीधी प्रवेश करती है। ज्ञान स्व पर हित करता है। दूसरों को पढ़ाने से स्मरण शक्ति, विल पावर बढ़ता है। अध्यात्म की कुंजी पाने वाले की गाड़ी कभी अटकती नहीं है अतः हम ज्ञान के क्षेत्र में प्रगति करते रहें ताकि घर, समाज, देश, राष्ट्र, विश्व में अपना व अपनों का नाम रोशन कर सकें।
-डाॅ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’, इन्दौर 9826091247