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Home›जैन समाचार›शाकाहार,अहिंसा एवं पर्यावरण पर राष्ट्रीय बेविनार सम्पन्न

शाकाहार,अहिंसा एवं पर्यावरण पर राष्ट्रीय बेविनार सम्पन्न

By पी.एम. जैन
November 15, 2020
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अहिंसा सामंजस्य का सूत्र है : न्यायमूर्ति विमला 
अहिंसा के बिना किसी भी प्राणी का अस्तित्व बनाए रखना असम्भव : सुरेश आईएएस
सभी पशुओं का संरक्षण होना चाहिए : डॉ डी. सी. जैन
मांस व्यापार ग्लोबल वार्मिंग का सबसे बड़ा स्रोत : डॉ. चिरंजीलाल बगड़ा
शाकाहार कोरोना जैसे वायरस से बचने का कवच कुंडल : डॉ कल्याण गंगवाल
464 सिगरेट के बराबर एक पटाखा : संजय शास्त्री
पर्यावरण और स्वयं की सुरक्षा के लिए पटाखा न  चलाने का लें संकल्प
वातावरण को दुरुस्त रखना होगा वार्ना कोरोना संक्रमण बढ़ सकता है|
ललितपुर-: वर्तमान शासन नायक भगवान स्वामी निर्वाणोत्सव (दीपावली) की पूर्व बेला एवं  परम पूज्य आचार्य श्री शांतिसागर जी छाणी महाराज के जन्म दिवस प्रसंग पर श्रुत संवर्द्धन संस्थान मेरठ के तत्वावधान में शाकाहार, अहिंसा एवं पर्यावरण विषय पर जूम और यूट्यूब पर लाइव राष्ट्रीय बेविनार का आयोजन परम पूज्य सराकोद्धारक षष्ठम पट्टाचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज के आशीर्वाद से किया गया। आयोजन का शुभारंभ  ब्र. अनिता दीदी जी (संघस्थ आचार्य श्री ज्ञानसागर जी) के मंगलाचरण व  श्री आर. के. जैन सपरिवार कोटा एवं धन्यकुमार जी जैन दिल्ली के द्वारा संपन्न दीप प्रज्ज्वलन से हुआ।
आयोजन के संयोजक  डॉ सुनील संचय ललितपुर ने संचालन करते हुए श्रुत संवर्द्धन संस्थान व आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज का परिचय व बिषय प्रवर्तन किया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री सुरेश जैन जी आईएएस, भोपाल ने कहा कि शाकाहार, अहिंसा और पर्यावरण संरक्षण प्राकृतिक जगत के आधार स्तम्भ हैं। पर्यावरण संरक्षण में धार्मिक, आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक परंपराओं का अत्यधिक योगदान है। अहिंसा के बिना किसी भी प्राणी का अस्तित्व बनाए रखना असम्भव है। जैन संस्कृति में पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, वनस्पति व मानवीय समाज के संरक्षण के लिए असाधारण एवं अद्भुत प्रावधान हैं।
मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति विमला जैन जी भोपाल(सेवानिवृत्त न्यायाधीश मध्यप्रदेश हाईकोर्ट) ने कहा कि संसार के प्रत्येक प्राणी में मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करना ही अहिंसा है, अहिंसा सामंजस्य का सूत्र है। विश्व युद्ध, साम्प्रदायिक दंगे एवं आतंकवाद का मूलकारण भावनात्मक आवेश है। इसलिए व्यक्ति की वृत्ति में सुधार पर बल देना चाहिए। वृत्ति में सुधार होगा तो हिंसा की बजाय अहिंसा स्वतः ही अंकुरित हो जाएगी। लोक अदालतों के माध्यम से न्यायपालिका आपसी समझौते को बल देती है।
अध्यक्षता करते हुए भूतपूर्व डायरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विसेज गवर्मेंट ऑफ़ इंडिया के  डॉ. डी. सी. जैन जी दिल्ली (वाइस प्रिंसिपल वर्द्धमान महावीर मेडीकल कॉलेज नई दिल्ली) ने कहा कि सभी पशुओं का संरक्षण होना चाहिए लेकिन भारत में सुबह होते ही लाखों मूक पशुओं को कत्लखानों में मौत के घाट उतार दिया जाता है। यह भारतीय संस्कृति के साथ खिलवाड़ है। अनेक राज्यों के पशु बलि अधिनियमों पर उन्होंने चर्चा की। उन्होंने कहा कि आतिशबाजी का व्यापक उपयोग, बड़ी मात्रा में हानिकारक गैसों और विषाक्त पदार्थों को वायुमंडल में छोड़ता है। परिणामस्वरूप, वायु प्रदूषित हो जाती है जो हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है।
कार्यक्रम का तकनीकी प्रसारण संयोजन प्रद्युम्न शास्त्री जयपुर, मनीष विद्यार्थी शाहगढ़, मनीष जैन तिजारा, समन्वयक मंडल राजेन्द्र महावीर सनावद, डॉ प्रगति जैन इंदौर,डॉ मनीषा जैन लाडनूं रहे । आयोजन को सफल बनाने में श्रुत संवर्द्धन संस्थान के महामंत्री श्री  हंसकुमार जैन, अध्यक्ष श्री योगेश जैन, कोषाध्यक्ष श्री  विवेक जैन का योगदान रहा।
मुख्य वक्तागणों में अहिंसा अभियान से जुड़े डॉ. चिरंजीलाल जी बगड़ा , कोलकाता ने वर्तमान संदर्भ में अहिंसा की प्रासंगिकता पर अपने विचार रखते हुए कहा कि पशु हत्या, मांसाहार, मांस निर्यात, पक्षियों की हत्या आदि सब व्यापार के नाम पर हो रहा है। यह अहिंसक भारत वर्ष के लिए चिंता जनक है। अनेक शोधकर्ताओं ने सिद्ध किया है कि मांस व्यापार, मांसाहार ग्लोबल वार्मिंग का सबसे बड़ा स्रोत है। आज शाकाहारी पदार्थों में मांसाहारी पदार्थों का प्रयोग, घी में चर्बी, दवाई के कैप्सूल में हड्डी का प्रयोग बढ़ रहा है जो चिंतित करने वाला है।
शाकाहार, व्यसन मुक्ति के अभियान में पिछले चालीस वर्षों से संलग्न और 40 लाख से अधिक मांसाहारी लोगों को शाकाहारी बनाने वाले डॉ. कल्याणमल जी गंगवाल पुणे (एमडी) ने कहा कि शाकाहार कोरोना जैसे वायरस से बचने का कवच कुंडल है। हमें छोटे बच्चों को बचपन से ही करुणा की शिक्षा देनी होगी। उन्होंने कहा कि वातावरण को दुरुस्त रखना होगा वार्ना कोरोना संक्रमण बढ़ सकता है। ऐसे में फोड़े जाने वाले पटाखों से वातावरण खतरे में पड़ेगा। हवा में फैलने वाले विषाक्त कण कोरोना संक्रमण बढ़ा सकते हैं। वायु प्रदूषण श्वांस की तकलीफ बढ़ाएगा। अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं तो पटाखें न चलाएं।
अनेक वर्षों से पटाखा चलाने विरोधी अभियान चला रहे  संजय शास्त्री जयपुर (सर्वोदय अहिंसा अभियान)  पटाखे और पर्यावरण पर अपने विचार रखते हुए कहा कि 464 सिगरेट के बराबर एक पटाखा है। वायु, जल, ध्वनि और मिट्टी प्रदूषण पटाखों से होता है। उन्होंने स्क्रीन पर पटाखों से होने वाली हानियों के अनेक पोस्टर, रीसर्च और पेपर कटिंग प्रदर्शित कर पटाखों को किसी भी अवसर पर  न चलाने की अपील की।
सर्वोदय अहिंसा अभियान से जुड़े उत्तर प्रदेश प्रभारी राहुल जैन बांदा ने  कहा कि जो राशि हम आतिशबाजी में अपव्यय करते हैं वह हम जरूरतमंद लोगों की सहायता करने में व्यय करें तो उपयोगी होगा।
ब्र. अनीता दीदी ने कहा कि आचार्य श्री शांतिसागर जी छाणी महाराज ने समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने न केवल श्रमण परंपरा के पुनरुत्थान में योगदान दिया अपितु एक गौरवशाली शिष्य परम्परा की भी अविच्छिन्न श्रृंखला प्रदान की। पूज्य सराकोद्धारक राष्ट्र संत आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज इसी परंपरा नभ के जाज्वल्यमान नक्षत्र हैं। शिक्षा, संस्कृति, धर्म, दर्शन, करियर, शाकाहार, प्रतिभा सम्मान, व्यसन मुक्त जीवन आदि के क्षेत्र में आचार्य श्री ज्ञानसागर जी का अवदान स्तुत्य है।
इस अवसर पर  ब्र. मनीष भैया, डॉ सुहास शाह मुम्बई, डॉ यतीश जबलपुर, प्रो टीकमचंद दिल्ली, यशोधर दिवाकर, डॉ सुमत उदयपुर, डॉ हरिश्चंद्र मुरैना, सुरेन्द्र वाराणसी, एन के जीवमित्र, उदयभान जैन पत्रकार जयपुर, अक्षय अलया, सुनील शास्त्री सोजना,राजकुमार शास्त्री सागर, एम पी जैन बारां, आदीश जैन, कैलाश पाटनी आदि प्रमुख रूप से सम्मलित रहे। आभार राजेन्द्र महावीर ने व्यक्त किया।
-डॉ. सुनील जैन संचय, ललितपुर
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