वात्सल्य मूर्ति आचार्य श्री ज्ञानभूषण जी महाराज से दीक्षा के लिए लगाई अरदास
मोक्षमार्ग कोई मोदक का लड्डू नहीं है जिसे हर कोई चख ले”- प. पू.आचार्य श्री ज्ञानभूषण जी महाराज मोदी नगर(गाजियाबाद) !! 21वीं सदी के वात्सल्य मूर्ति आचार्य श्री108 ज्ञानभूषण जी महाराज “रत्नाकर” का पावन वर्षायोग 2019 श्री दिगम्बर जैन शाँतिनाथ मन्दिर, मोदी नगर जिला गाजियाबाद(उ.प्र.) में नित्य साधना और धर्मप्रभावना के साथ बड़े धूमधाम से चल रहा है| आचार्य श्री के इस पावन वर्षायोग के माध्यम से स्थानीय समाज के लोगों के साथ -साथ दिल्ली व अन्य राज्यों के लोगों का ताँता, आचार्य श्री के आशीर्वाद एवं सच्चा जीवन जीने की कला सीखने हेतु निरंतर लगा रहता है| आज के दौर में आचार्य श्री के वात्सल्य से कोई अनभिज्ञ नहीं है लेकिन साधना क्षेत्र में भी आचार्य श्री अद्भुत चर्या के धनी हैं|
आचार्य श्री अपने सान्निध्य में “संसार भंवर में भटके राही को सच्ची राह दिखाकर मोक्षमार्ग का राही तब बनाते हैं जब वह पूर्णरूप से परिपक्व हो जाता है|
आचार्य श्री कहते हैं कि संसारिक दुनिया में कोई व्यक्ति पढ़-लिखकर चाहे कितनी भी डिग्रियाँ एकत्रित कर लें लेकिन जब उसे फौज में भर्ती होना होता है तो उसे फौज की कानूनी पढ़ाई- लिखाई, प्रैक्टीकल और एक फौजी की सुदृढ़ दिनचर्या से गुजरना पड़ता है क्योंकि एक कुशल नेतृत्व ही कुशल फौजियों की फौज को तैयार कर सकता है और ऐसे कुशल फौजी ही विषम से विषम प्रतिकूल परिस्थिति को अनुकूल बनाने में सक्षम होते हैं|
आगे आचार्य श्री कहते हैं कि पंचमकाल की चकाचौंध को देखते हुए मोक्षमार्ग पर किसी को चलाने से पूर्व चलने वाले की उत्कृष्ट दृड़ता व पराक्रम की परख और परीक्षा लेना अत्यन्त आवश्यक है क्योंकि “मोक्षमार्ग कोई मोदक का लड्डू नहीं है जिसे हर कोई चख ले” यह मार्ग तो संसार से परे आत्मकल्याण के वास्ते वीरों-महावीरों और वीरांगनाओं का उत्कृष्ट और अतिउत्तम मार्ग है जिस पर पग रखने के बाद भवान्तर में सांसारिक मार्ग पर पग रखने की आशंका विलुप्त सी हो जाती है |
आचार्य श्री सदैव कहते हैं कि “विदाउट ट्रेनिंग” का सिपाही समाज के बीच सर दर्द की तरह होता है जो कब और कहा तकलीफ़ दे दे पता नहीं होता है|
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आज के दौर में भी वात्सल्यमूर्ति आचार्य श्री ज्ञानभूषण जी महाराज के सान्निध्य में एक सच्चा मोक्षमार्गी बनना कोई अचम्भे की बात नहीं क्योंकि आचार्य श्री वात्सल्य के धनी तो हैं ही साथ ही साथ उनके पास मोक्षमार्ग पर चलने के लिए ऐसे अनूठे और अद्भुत सूत्र हैं जिनका अनुसरण करने पर बाधाऐं भी अपना रूख बदल लेती हैं|आचार्य श्री के संघस्थ ऐसे कई जीवंत उदाहरण हैं जो आज भी जीवंत हैं|
वर्ष- 2009-2010 के मध्य मोक्षमार्ग की एक ऐसी वीरांगना जो बालब्रह्मचारिणी “श्रद्धा दीदी” के नाम से परिचय में रहीं हैं जिन्होंने आचार्य श्री के सान्निध्य में आगमानुुुकूल साधना रूपी व तपस्चर्या रूपी सभी परीक्षाओं को बेेेबाकी से पास किया और आज हमाारे बीच उन्हें 👉 वाणी प्रखर “क्षुल्लिका श्री ज्ञानगंगा माता जी” के नाम से पुकारा जाता है| आचार्य श्री के सााथ-साथ अब क्षुल्लिका जी का नेतृत्व सभी संघस्थ त्यागीव्रतियों और समस्त समाज को मिल रहा है, जिसके परिणामस्वरूप कई वर्षों से संघस्थ कृष्णा दीदी रामगढ़(राजस्थान), कुसुम दीदी हथीन (हरियाणा) , गजेंद्र भैया गोविन्दगढ़(राजस्थान) ने *क्षुल्लिका दीक्षा* के लिए आचार्य श्री को “श्रीफल” अर्पित किया है जिसके चलते गुरुदेव ने भी उन्हें मंगल आशीष प्रदान किया है अब समस्त समाज को उस पल -प्रतिपल की प्रतीक्षा है जब गुरूदेव दीक्षार्थियों को दीक्षा प्रदान करेंगे|
👉न्यूज सोर्स -पुनीत जैन(ज्ञान चेतना मंच) मौजपुर “दिल्ली”