वात्सल्य मूर्ति आचार्य श्री ज्ञानभूषण जी महाराज से दीक्षा के लिए लगाई अरदास



आचार्य श्री कहते हैं कि संसारिक दुनिया में कोई व्यक्ति पढ़-लिखकर चाहे कितनी भी डिग्रियाँ एकत्रित कर लें लेकिन जब उसे फौज में भर्ती होना होता है तो उसे फौज की कानूनी पढ़ाई- लिखाई, प्रैक्टीकल और एक फौजी की सुदृढ़ दिनचर्या से गुजरना पड़ता है क्योंकि एक कुशल नेतृत्व ही कुशल फौजियों की फौज को तैयार कर सकता है और ऐसे कुशल फौजी ही विषम से विषम प्रतिकूल परिस्थिति को अनुकूल बनाने में सक्षम होते हैं|


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वर्ष- 2009-2010 के मध्य मोक्षमार्ग की एक ऐसी वीरांगना जो बालब्रह्मचारिणी “श्रद्धा दीदी” के नाम से परिचय में रहीं हैं जिन्होंने आचार्य श्री के सान्निध्य में आगमानुुुकूल साधना रूपी व तपस्चर्या रूपी सभी परीक्षाओं को बेेेबाकी से पास किया और आज हमाारे बीच उन्हें 👉 वाणी प्रखर “क्षुल्लिका श्री ज्ञानगंगा माता जी” के नाम से पुकारा जाता है| आचार्य श्री के सााथ-साथ अब क्षुल्लिका जी का नेतृत्व सभी संघस्थ त्यागीव्रतियों और समस्त समाज को मिल रहा है, जिसके परिणामस्वरूप कई वर्षों से संघस्थ कृष्णा दीदी रामगढ़(राजस्थान), कुसुम दीदी हथीन (हरियाणा) , गजेंद्र भैया गोविन्दगढ़(राजस्थान) ने *क्षुल्लिका दीक्षा* के लिए आचार्य श्री को “श्रीफल” अर्पित किया है जिसके चलते गुरुदेव ने भी उन्हें मंगल आशीष प्रदान किया है अब समस्त समाज को उस पल -प्रतिपल की प्रतीक्षा है जब गुरूदेव दीक्षार्थियों को दीक्षा प्रदान करेंगे|
👉न्यूज सोर्स -पुनीत जैन(ज्ञान चेतना मंच) मौजपुर “दिल्ली”
