पंचकल्याणक के दौरान, तप कल्याणक के दिन हुई दस दिगम्बर जैनेश्वरी मुनि दीक्षाएं
ललितपुर।28 नवम्बर!! दयोदय गौशाला मसौरा ललितपुर परिसर में संत शिरोमणि राष्ट्र संत आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज ससंघ के सान्निध्य में चल रहे श्री मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं गजरथ महामहोत्सव में बुधवार को तीर्थंकर भगवान के तपकल्याणक को भारी आस्था श्रद्धा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर साधनारत दस ब्रह्मचारी भैयागणों की भव्य जैनेश्वरी मुनि दीक्षा देखने अपार जनसैलाव उमड़ पड़ा। आज जहां पंचकल्याणक में भावी तीर्थंकर युवराज आदिकुमार की जैनेश्वरी मुनि दीक्षा काल्पनिक रूप से मंच पर दर्शायी गयी वहीं साक्षात रूप में आचार्यश्री ने दस ब्रह्मचारी भैयागणों को भव्य जैनेश्वरी मुनि दीक्षाएं प्रदान कर ललितपुर के इतिहास में एक नई इबारत लिख दी। ऐसा अवसर देखने बहुत ही कम मिलता है। यही कारण है कि मुनि दीक्षाएं देखने पूरे देश से अपार जनसैलाव उमड़ पड़ा।
बुधवार को तप कल्याणक की क्रियाएँ प्रातः 6 बजे से ब्र. विनय भैया जी के निर्देशन में प्रारंभ की गईं। इस दौरान पात्र शुद्धि,अभिषेक, शांति धारा,नित्य महापूजन ,जन्म कल्याणक पूजन, शांति हवन आदि विधि विधान से सम्पन्न हुयीं।
आचार्यश्री के पाद प्रक्षालन और शास्त्र भेंट श्रेष्ठियों द्वारा किये गए। इसके बाद आचार्यश्री की पूजन भक्तिमय तरीके से संगीत के साथ हुई।
युवराज आदिकुमार के पाणिग्रहण संस्कार विधि (बारात) धूमधाम से सम्पन्न हुई।
दस साधक बने दिगम्बर जैन मुनि :
आज दयोदय गौशाला ललितपुर में पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज द्वारा दस दीक्षाएं प्रदान की गई। नव -दीक्षित मुनिराजों के नाम इस प्रकार हैं –
1 ब्र. श्रेयांश भैया, बुढ़ार
पूज्य मुनि श्री निर्ग्रन्थसागर जी महाराज
2 ब्र. मोनू भैया पनागर
पूज्य मुनि श्री निर्भान्तिसागर जी महाराज
3 ब्र. दीपेंद्र भैया पथरिया
पूज्य मुनि श्री निरालस सागर जी महाराज
4 नितेन्द्र भैया नरसिंहपुर-
पूज्य मुनि श्री निराश्रव सागर जी महाराज
5 पिंकेश भैया हाटपिपल्या-
पूज्य मुनि श्री निराकार सागर जी महाराज
6 आकाश भैया सागर-
पूज्य मुनि श्री निश्चिन्त सागर जी महाराज
7 सतीश भैया खुरई-
पूज्य मुनि श्री निर्माणसागर जी महाराज
8 दीपक भैया संदलपुर-
पूज्य मुनि श्री निशंक सागर जी महाराज
9 मनीष भैया इन्दोर-
पूज्य मुनि श्री निरंजन सागर जी महाराज
10 अर्पित भैया राघोगढ़/इन्दोर-
पूज्य मुनि श्री निर्लेप सागर जी महाराज
आचार्यश्री के आशीर्वाद से दूर हुई कैंसर की बीमारी, बने दिगम्बर मुनि :
गौशाला में आज दिगम्बर जैन मुनि बने
ब्र . श्री नितेन्द्र भैया जी, नरसिंहपुर ने आचार्यश्री से दीक्षा का निवेदन करते समय बताया कि उन्हें कैंसर जैसी असाध्य बीमारी हो गयी थी लेकिन आचार्यश्री की कृपा से दूर हो गयी। उनकी कृपा से आज मैं कैंसर को जीतकर केसर बना हूं।
पचास वर्ष वाद पंचकल्याणक में दीक्षाएं :
आचार्यश्री के सान्निध्य में किसी पंचकल्याणक महोत्सव में पचास वर्ष बाद जैनेश्वरी दीक्षाएं हो रही हैं जो कि एक ऐतिहासिक क्षण हैं।ललितपुर में एक इतिहास कायम हुआ है।
इस अवसर पर पूरे देश से जैनेश्वरी मुनि दीक्षा देखने उमड़े हजारों श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज ने अपने अमृत वचनों में कहा कि
प्रत्येक साधक के जीवन में कैवल्य की प्राप्ति तो होती है लेकिन कल्याणक की प्राप्ति हो यह नियम नहीं है।पंचकल्याणक का यह अर्थ है कि तीर्थंकर प्रकृति का बंध जिसने प्राप्त किया है उसे ही यह प्राप्त होता है। कल्याणक का अर्थ है एक प्रकार से देवों के द्वारा मनुष्य उस कल्याणक को मनाता है।जिन महिमा दर्शन अपने आपमें बहुत महिमा मंडित होता है।
निर्विकार होना है तो पंचकल्याणक देखो :
वैभव होते हुए भी उनसे मुक्त कैसे रहा जाता है यह पंचकल्याणक में दिखाया जाता है। कीच के बीच में ही कमल खिलता है। इसके लिए उदाहरण की जरूरत नहीं है। पंकज कीच में ही उत्पन्न होता है। उसे देखकर लगता है कि कितना निर्विकार है। भौरा पंकज पर ही बैठता है वह कीच में नहीं बैठता है कमल पर बैठता है। भ्रमर काला रहता है जब कमल पर बैठ जाता है तो उसकी शोभा कई गुनी बढ़ जाती है। भ्रमर उसमें से मकरंद ले लेता है। ऐसे ही जब सौधर्म इंद्र तीर्थंकर की महिमा देख लेता है तो उसकी दृष्टि रत्नत्रय की ओर चली जाती है। कीच के बीच में रहकर भी एक मात्र अपने मकरंद को सेवन करनेवाला श्रद्धालु अनन्त कालीन कालिमा से भरा हुआ वह बाहरी सारा वैभव छोड़कर आत्मा में लीन हो जाता है।
राग से विराग का कमल खिलाना है :
वैभव छोड़ने का दृश्य देखना है तो तीर्थंकर के समवसरण देखो। राग के अंदर तो आग ही आग है लेकिन वहां आग नहीं चिराग होता है।
राग से विराग का कमल खिलाना है तो पंचकल्याणक देखो।
पंक नहीं पंकज बनें :
जिनेंद्र भगवान बनने की प्रक्रिया आज से नहीं अनन्तकाल से चल रही है। संसार भी अनन्तकाल से है। कीच और कमल भी अनन्त काल से है। कीच भी रहेगा और पंकज भी खिलेगा। लेकिन जीव पंक की ओर जाता है, पंकज की ओर नहीं जा पाता। सौधर्म इंद्र वैभव छोड़ने के भाव होने पर भी वह तिल-तुष् मात्र भी छोड़ नहीं पाता।
कर्म का लिखा नहीं मिटता :
हम चाहते बहुत कुछ हैं लेकिन होता वही है जो कर्म का लेखा लिखा होता है।
वज्र टूट जाये पर कर्म पसीजता नहीं है। जीवन में परिवर्तन के लिए भेद-विज्ञान जरूरी है। जितना समय मिला है उसका पूरा उपयोग करो।
ऊपर की मांग करो पर मांग के साथ अज्ञान नहीं होना चाहिए। ग्राहक बनो पर वही चाहिए ऐसा हठ नहीं करना चाहिए।
अपने जीवन में संतोष धारण करो।
भगवान के सामने शोक नहीं करें :
हमेशा -हमेशा क्या प्रभु के सामने रोते ही रहोगे। भगवान के सामने शोक कब तक करते रहोगे। वह तो अशोक हैं और आप उनके सामने जाकर शोक करते हो। प्रभू का दर्शन प्रमुदित मन होकर करना चाहिए।
ये जो चमक दमक है एक सैकेण्ड में सब फीका-फाका हो जाएगा। भेद-विज्ञान बिना संयम संभव नहीं है
आप लोग ऐसे समवशरण में क्षायिक सम्यकदर्शन प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त करो।
आचार्यश्री ने कहा कि आज का समय बहुत कीमती है। क्योंकि आज जहां युवराज आदिकुमार की दीक्षा होगी वहीं साक्षात जैनेश्वरी मुनि दीक्षा हो रहीं हैं।
इस अवसर पर आचार्यश्री से आज मुनि दीक्षा प्राप्त करने जा रहे दस दीक्षार्थी भैयागणों ने पाद प्रक्षालन कर दीक्षा के लिए आशीर्वाद एवं अनुमति ग्रहण की। दीक्षार्थी भैयागणों ने आचार्यश्री से क्रमशः दीक्षा के लिए निवेदन किया और सभी जीवों से क्षमा मांगी ।
आज तप कल्याणक के अंतर्गत युवराज आदिकुमार को राज्याभिषेक भेंट समर्पण,महामंडलेश्वर नियुक्ति,सेनापति नियुक्ति, षटकर्म उपदेश, दंडनीति, ब्राह्मी सुंदरी को शिक्षा, नीलांजना का नृत्य, लौकांतिक देवागमन, युवराज भरत बाहुबली व बाहुबली राज्य तिलक दीक्षा, अभिषेक दीक्षा, बन आगमन, दीक्षाकल्याधक संस्कार विधि आदि क्रियाएं विधि विधान पूर्वक सम्पन्न किये गए। नीलांजना का नृत्य देख युवराज आदिकुमार को संसार की असारता का भान हो गया और उन्हें वैराग्य उमड़ आया और उन्होंने जैनेश्वरी दिगम्बर मुनि की दीक्षा ग्रहण करने का निश्चय कर लिया।
भव्य जैनेश्वरी मुनि दीक्षाएं देखने उमड़ा श्रद्धा का जनसैलाव :
बुधवार का दिन ललितपुर के लिए ऐतिहासिक दिन रहा, इतिहास में एक नयी इबारत लिखी गयी जब आचार्यश्री ने अपने कर कमलों से भव्य दस मुनि दीक्षाएं प्रदान कीं।
यह दीक्षाएं अचानक ही हुई लेकिन कल जैसे ही लोगों को पता चला पूरे देश में खबर सोशल मीडिया के माध्यम से फैल गई, फिर क्या था जिसको जो साधन मिला ललितपुर की ओर कूच कर गया। सुबह होते- होते हजारों लोग गौशाला पहुँचना शुरू हो गए।उल्लेखनीय है कि आचार्यश्री कभी भी दीक्षाओं के लिए पूर्व से तिथि निश्चित नहीं करते हैं। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण पारस और जिनवाणी चेनल पर किया गया जिससे देश-विदेश के लाखों लोगों ने भी इस महान भव्य अद्भुत आयोजन को देखा। ललितपुर के इतिहास में आज का दिन स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया। आज उमड़े भारी जनसैलाव के कारण गौशाला परिसर का विशाल प्रांगण भी छोटा पड़ गया। जैन परंपरा में दिगम्बर मुनि दीक्षा का विशेष महत्व है,आयोजकों ने भारी जनसैलाव के उमड़ने की संभावना को लेकर अतिरिक्त एलडी स्क्रीन की व्यवस्थाएं की थी। मुख्य पांडाल में जगह न मिल पाने के कारण हजारों लोगों ने एलईडी स्क्रीन के सामने बैठकर आयोजन को श्रद्धा पूर्वक देखा। एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने आयोजन में भाग लिया।
ब्र. आकाश भैया ने अपनी सम्पूर्ण संपत्ति दी दान :
आज गौशाला परिसर में हुई जैनेश्वरी मुनि दीक्षा समारोह में मुनि दीक्षा ग्रहण कर दिगम्बर जैन मुनि बने सागर मध्यप्रदेश के निवासी ब्र.आकाश भैया ने अपने नाम की सम्पूर्ण संपत्ति दान करने की घोषणा कर दी।
आयोजन में रात्रि को संगीतमय महाआरती,शास्त्र प्रवचन,सांस्कृतिक आयोजन भव्यता पूर्वक आयोजित हुए।
आयोजन को सफल बनाने में दिगम्बर जैन पंचायत समिति, पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव समिति, गौशाला समिति, महोत्सव की समस्त उप समितियां, विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों का योगदान रहा। पुलिस प्रशासन बड़ी संख्या में सुरक्षा व्यवस्था में जुटा रहा।
इस दौरान दानवीर, भामाशाह आर. के.मार्बल समूह के मुखिया अशोक पाटनी मदनगंज-किशनगढ़ राजस्थान, प्रभात जैन, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य, पन्ना लाल बैनाड़ा आगरा आदि प्रमुख रुप से उपस्थित रहे।
गुरुवार को ज्ञान कल्याणक मनाया जाएगा : पंचकल्याणक महोत्सव में गुरुवार को ज्ञान कल्याणक मनाया जाएगा। इस दौरान प्रातः6 बजेपात्र शुद्धि ,अभिषेक,शन्तिधारा,नित्य महापूजन तापकल्याणक पूजन,आचार्य श्री जी की पूजन एवं प्रवचन होंगे। नव दीक्षित महामुनिराज की आहार चर्या (पंचाश्चर्य) होंगे।
दोपहर में ज्ञानकल्याणक की आंतरिक संस्कार क्रियाएं प्राण प्रतिष्ठा, सूरिमंत्र, केवल ज्ञानोंत्पत्ति, समवशरण रचना, केवल ज्ञानकल्याणक पूजन, श्रीजी की दिव्यदेशना दिव्य ध्वनि प्रसारण होगा।
प्रस्तुति : डॉ.सुनील जैन संचय, “मीडिया प्रभारी” ललितपुर (उ.प्र.)