Paras Punj

Main Menu

  • होम
  • देश
  • विदेश
  • राज्य
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • खेल
  • ज्योतिष
  • हेल्थ
  • धर्म-कर्म
  • लेख-विचार
  • अपराध
  • राजनीति
  • शिक्षा

logo

Paras Punj

  • होम
  • देश
  • विदेश
  • राज्य
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • खेल
  • ज्योतिष
  • हेल्थ
  • धर्म-कर्म
  • लेख-विचार
  • अपराध
  • राजनीति
  • शिक्षा
धर्म-कर्म
Home›धर्म-कर्म›सिरि भूवलय में आचार्य कुन्दकुन्द कृत समयसार

सिरि भूवलय में आचार्य कुन्दकुन्द कृत समयसार

By पी.एम. जैन
July 11, 2020
997
0
Share:

–डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज‘, इन्दौर ६८२६०६१२४७

सिरिभूवलय अपने आप में अनूठा और आश्चर्य चकित करदेने वाला अंकात्मक अद्भुत ग्रन्थ है। यह के अंकों ही अंकों में लिखा गया में लिखा गया है। आठवीं-वनमी शताब्दी में दिगम्बराचार्य कुमुदेन्दु ने इसमें १ से ६४ तक के अंकों को लिया है। इससे निर्गत होने वाली सभी ७१८ भाषाओं के वर्णमाला इन्हीं ६४ अंकों से बनती है। सभी एक अंकचक्र में २७ कॉलम खड़े और २७ कॉलम पड़े, इस तरह से कुल ७२६ खाने बनाये गये हैं, उनमें विशेषविधि से अंक लिखे गये हैं। इस तरह के १२७० अंकचक्र उपलब्ध हैं जिनमें ५६ अध्यायात्मक मंगल प्राभृत गर्भित है। ये अध्याय वर्ण्यमान सभी विषयों का सूत्ररूप में संकेत करते हैं। १२७० अंकचक्रों से ही विशेष विधि से प्रत्येक के ८१-८१ गुणित करके एक लाख २८७० अंकचक्र बनेंगे और एक-एक अंकचक्र से लगभग १०-१२ श्लोक बनते हैं। इस तरह द्वितीय स्तर की डिकोडिंग से सभी ६४ आर्ट्स और साइंस, भाषाएँ, धर्म, कला, विज्ञान ३६३ दर्शन व्यवस्थित रूप से पूर्ण विवेचित होंगे।

इसके श्रुतावतार नामक अध्याय के अन्तराधिकार के प्रत्येक श्लोक का प्रथम अक्षर पंक्ति रूप में लिखते जाने से कुन्दकुन्दचार्य द्वारा रचित समयसार की प्राकृत भाषात्मक गाथाएं बनती हैं। अर्थात् लगभग ५६ पद्यों के एक एक अक्षर लेने से समयसार की एक गाथा बनती है। चूंकि सिरि भूवलय की आधार भाषा कन्नड है अर्थात् कन्नड को मूल में लेकर यह निर्मित है इसलिए हम जो शोध प्रस्तुत करते हैं उसका मुख्य अंश कन्नड-मूल रूप में अवश्य रखते हैं, यद्यपि सभी को कन्नड समझ में नहीं आती लेकिन उसे गौण नहीं किया जा सकता है।

ಸಿರಿಭೂವಲಯದಲ್ಲಿ ಶುದ್ಧ ಕುನ್ಹಾಚಾರ್ಯದ ಸಮಯಸಾರ

ವಂದಿತ್ತು ಸವ್ವಸಿದ್ದೇ ಧುವಮಚಲಮಣೋವಮಂ ಗಇ೦ ಪತ್ತೇ।

ವೋಚ್ಛಾಮಿ ಸಮಯ ಪಾಹುಡಮಿಣಮೋ ಸುಯಕೇವಲೀ ಭಣಿಯಂ loll

 

ಜೀವೋ ಚರಿತ್ತ ದಂಸಣ ಣಾಣಟ್ಟಿಉ ತಂ ಹಿ ಸಸಮಯಂ ಜಾಣ|

ಪುಗ್ಗಲ ಕಮ್ಮ ಪದೇಸಟ್ಟಿಯ ಚ್ ತಂ ಜಾಣ ಪರಸಮಯಂ ||೨||

 

ಎಯತ್ತ ಣಿಚ್ಚಯಗಓ ಸಮಓ ಸವ್ವ ಸುಂದರೆ ಲೋಎ |

ಬಧಕಹಾ ಎಯತೇ ತೇ ಣ ವಿಸಂವಾದಿಣೀ ಹೊ ||೩||

 

ಸುದಪರಿಚಿದಾಣುಭದಾ ಸವ್ವಸ್ಸ ವಿ ಕಾಮಿಗಬಧಕಹಾ |

ಎಯಸ್ಸುವಲಭೋ ಣವರಿ ಣ ಸುಲಹೋ ವಿಹಸ್ಯ ||೪||

 

ತಂ ಎಯ ವಿಹಂ ದಾಹಂ ಅಪ್ಲೊ ಸವಿದವೆ |

ಜದಿದಾವಿಜ್ಞ ಪಯಾಣ ಚುಕ್ಕಿಜ್ಞಛಲಂ ಣ ಛತ್ರವ್ಯ ||೫||

 

मयसार सिरिभूवलय में कुन्दकुन्दाचार्य कृत समयसार

समयसार के अलग अलग संस्करणों में विद्वानों ने अपनी बुद्धि, व्याकरण, श्रुति परम्परा के अनुसार पाठ में परिवर्तन किये हैं। सिरि भूवलय में प्राचीनतम शुद्ध पाठ प्राप्त होता हैपहले निम्नांकित प्रारम्भिक गाथाएं देखें-

गदित्तु साठा सिद्ध शुगमाचलमाणोठामा गई पत्ते।

वोच्छामि समय पाहु डमिणो सुयके वली भणियं ॥१॥

मैं ध्रुव, अचल, निर्मल और अनुपम गति को प्राप्त समस्त सिद्धों को नमस्कार कर श्रुतकेवलियों द्वारा कहे हुए इस समयपाहुड नामक ग्रन्थ को कहूँगा|

जीवो चरित्त दंसण णाणट्ठिउ तं हि ससमयं जाण।

पुग्गल कम्म पदेसट्ठिय च तं जाण परसमयं ॥२॥

जो जीव चारित्र, दर्शन और ज्ञान में स्थित है निश्चय से उसे स्वसमय जानो और जो पुद्गल कर्म के प्रदेश में स्थित है उसे पर समय जानो|

एयत्थ णिच्छ यगओ समओं सव्वत्थ सुदरो लोए|

बधाक हा एयाते ते ण विसांवादिणी होई ।।३।|

एकत्व निश्चय को प्राप्त हुआ समय ही समस्त लोक में सुदर है। एकत्व के प्रतिष्ठित होने पर उस आत्म पदार्थ के साथ बध की कथा विसंवादपूर्ण है।

सदपरिचिदाणु दा सास्स वि कामाभागबध कहा ।

एटाते स्वला णारि ण सुलो विह तस्स ॥४॥

काम, भोग और बध की कथा सभी जीवों के श्रुत है, परिचित है और अनुभूत है, परंतु पर पदार्थों से पृथक् एकत्व की प्राप्ति सुलभ नहीं है।

त एयात्त विहत्त दाएह अप्प्णो सगिह तो ण ।

जदिदाऐ ज्ज पयाणं चुक्कि ज्जछलं ण घेतना ॥५।|

मैं अपने निज विभव से उस एकत्व विभक्त आत्मा का दर्शन करता हूँ। यदि दर्शन करा सकूँ, उसका उल्लेख करा सकू तो प्रमाण मानना और कहीं चूक जाऊँ तो मेरा छल नहीं ग्रहण करना।

इसमें से गाथा सं. ३ और ४ में ‘बंधकहा‘ की जगह ‘बधकहा‘, पाठ आया है। गाथा संख्या चार में प्रकाशित संस्करणों में कामभोगबंधकहा‘ पाठ ही लिया गया है और उसका अर्थ किया हैकाम, भोग और बंध की कथा‘ जबकि काम, भोग की कथा स्वयं ही बंध की कथा है अतः अलग से बंध कहने की आवता नहीं थी, बल्कि काम, भोग और जीव बध की कथा उपयुक्त बैठता है। गाथा संख्या ३ के प्रकाशित “एयत्त” के स्थान पर “एयत्थ” पाठ मिला है। इस तरह और भी अनेक पाठभेद हैं जिन्हें आगामी शोध में प्रस्तुत करेंगे|

–डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज‘, इन्दौर, ६८२६०६१२४७

 
Previous Article

आचार्य शशांक सागर जी महाराज ससंघ का ...

Next Article

शारीरिक दूरी के साथ, शरीर व आत्मा ...

0
Shares
  • 0
  • +
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0

Related articles More from author

  • धर्म-कर्म

    रुद्राभिषेक में शिव निवास का विचार-प्रेषक:बाबूलाल शास्त्री,टोंक(राजस्थान)

    August 4, 2019
    By पी.एम. जैन
  • धर्म-कर्म

    आचार्य भगवंत श्री विद्यासागर जी महाराज से दीक्षित130 मुनिराज एवं 172 आर्यिका माताओं के नाम

    November 30, 2018
    By पी.एम. जैन
  • धर्म-कर्म

    कोरोना संकट के चलते दान पर्व के रूप में मनाएं इस बार अक्षय तृतीया

    April 26, 2020
    By पी.एम. जैन
  • धर्म-कर्म

    समय की आराधना के साथ सम्पन्न हुआ समयसारोपासक साधना संस्कार शिविर

    October 1, 2022
    By पी.एम. जैन
  • धर्म-कर्म

    मूल कर्तव्यों के बिना सारे कर्मकांड और व्रत-उपवास सब बेकार और निराधार हैं👉जैनाचार्य 108 श्री ज्ञानभूषण जी महाराज

    May 2, 2020
    By पी.एम. जैन
  • धर्म-कर्म

    अंकलीकर पुरस्कार 2018 घोषित़़

    October 17, 2018
    By पी.एम. जैन

  • ज्योतिष

    जन्मकुण्डली एवं वास्तु में सन्तान उत्पति में बाधक योग क्या है

  • धर्म-कर्म

    सम्यग्दर्शन के साथ शुचिता ही उत्तम शौच है – आचार्य अतिवीर मुनि

  • धर्म-कर्म

    श्रवणबेलगोला गोम्मटेश के दर्शन 24 जून से प्रारंभ

ताजा खबरे

  • 17 जनवरी को शनिदेव का कुम्भ राशि में प्रवेश जानिए शुभाशुभ योग
  • वैदिक ज्योतिष से जानिए इन पांच कारणों से आती है नौकरी-बिजनेस में बाधा, ये हो सकते हैं उपाय
  • दिखाओ चाबुक तो झुक कर सलाम करते हैं, हम वो शेर हैं जो सर्कस में काम करते हैं।-डॉ. निर्मल जैन (जज)
  • श्री सम्मेद शिखर जी प्रकरण- नवबर्ष पर समस्त जैन समाज की पहली जीत
  • 🌺नव वर्ष संकल्प🌺 नए साल को एक नयी परिपाटी प्रारंभ करें-डॉ.निर्मल जैन(जज से.नि.)
  • शास्त्रि-परिषद का विद्वत् शिक्षण प्रशिक्षण शिविर का द्वितीय दिवस
  • अहिंसा संविधान की मूल भावना-अशोक गहलोत मुख्यमंत्री (राजस्थान)
  • अंग्रेजी नूतन वर्ष 2023 पर विशेष : कलेंडर बदलिए अपनी संस्कृति नहीं -डॉ सुनील जैन, संचय, ललितपुर
  • शिखर जी प्रकरण पर संत गर्जना- जनबल से झुकती है सरकार, 18 दिसम्बर को लालकिला मैदान पर आओ 50 हजार
  • पांच सौ वर्षों के बाद नवरंगपुर मुनिराजों का मंगलप्रवेश

Find us on Facebook

विज्ञापन

मेन्यू

  • होम
  • देश
  • विदेश
  • राज्य
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • खेल
  • ज्योतिष
  • हेल्थ
  • धर्म-कर्म
  • लेख-विचार
  • अपराध
  • राजनीति
  • शिक्षा

ताजा खबरे

  • 17 जनवरी को शनिदेव का कुम्भ राशि में प्रवेश जानिए शुभाशुभ योग
  • वैदिक ज्योतिष से जानिए इन पांच कारणों से आती है नौकरी-बिजनेस में बाधा, ये हो सकते हैं उपाय
  • दिखाओ चाबुक तो झुक कर सलाम करते हैं, हम वो शेर हैं जो सर्कस में काम करते हैं।-डॉ. निर्मल जैन (जज)
  • श्री सम्मेद शिखर जी प्रकरण- नवबर्ष पर समस्त जैन समाज की पहली जीत
  • 🌺नव वर्ष संकल्प🌺 नए साल को एक नयी परिपाटी प्रारंभ करें-डॉ.निर्मल जैन(जज से.नि.)
  • शास्त्रि-परिषद का विद्वत् शिक्षण प्रशिक्षण शिविर का द्वितीय दिवस
  • अहिंसा संविधान की मूल भावना-अशोक गहलोत मुख्यमंत्री (राजस्थान)
  • अंग्रेजी नूतन वर्ष 2023 पर विशेष : कलेंडर बदलिए अपनी संस्कृति नहीं -डॉ सुनील जैन, संचय, ललितपुर
  • Home
  • Contact Us