मीडिया
हर मीडिया,समाचार-पत्र तक इस रचना को पहुंचायेंगें तो शायद मीडिया कुछ निष्पक्ष होने की बात सोचे।
मिडिया
मिडिया इस देश की खूफिया बन जायेगी
हर खबर घटना से पहले की सडक पर आयेगी
यहा भंग है सब गोपनीयता आज मेरे देश मे
बस, घूमती है पत्रकारी गुप्तचर के भेष में
मिडिया में पाक भारत युद्ध जमकर चल रहा है
ऱाष्ट्र भी तो मिडिया की ही खबर से जल रहा है
आज सासन ऱाष्ट्र का भी मिडिया से पल रहा है
अब मिडिया भी थूक से पूरी-पकौडी तल रहा है
क्या मिडिया की राय में अब युद्ध होना चाहिये
क्या मिडिया की हर खबर को शुद्ध होना चाहिये
आवाम को क्या मिडिया से क्रुद्ध होना चाहिये
या निष्पक्षता में मिडिया प्रबुद्ध होना चाहिये
बदनाम के पीछे भी देखो घूमता है कैमरा
कैसे भ्रश्टाचार की गन्ध सूंघता है कैमरा
बस,कहीं करोडो का गमन हो ढूंढता है कैमरा
अब पद, प्रतिष्ठा के चरण भी चूमता है कैमरा
धर्म के हर आशियाने में अकड़ अखवार की
हिन्दू,मुश्लिम सिक्ख,ईसाइ है रगड़अखवार की
हर विभागों के करप्सन में जकड़ अखवार की
जनतंत्र के षडयंत्र में भी है पकड़ अखवार की
देखो लग रही कैसी झडी हर जगह अखवार की
शब्द कलुसित हो गया बे बात से भरमार की
बस, बलात्कारी, घूसखोरी और कहानी यार की
समृद्ध हो कैसे वतन कहीं बात भी नहीं प्यार की
इस पत्रकारी जिन्दगी में देखो कैसे ठाट हैं
हर भ्रष्टता की बन रही इनकी कलम से बाट है
मझदार में डूबी कलम की मिडिया अब हाट है
यहां इल्म बिकता है कलम से पत्रकारी ठाठ है
यहां सत्ता सियासी भोंकते हैं मीडिया के मंच से
अब ये कैमरा भी रूब-रू है सल्तनत के लंच से
यहां बाजीगरी का खेल हेै ये सर्कसी सरपंच से
इन सब चैनलों की रेल चलती है सदा प्रपंच से
मिडिया के द्वंद में भी नर्क को मैं देखता हॅूं
अब हर विवादों में सियासी फर्क को मै देखता हॅू
लक्ष्य से भटके हुये उस अर्क को मैं देखता हूँ
मस्तिष्क के व्यायाम में कूतर्क को मैें देखता हॅूं
अब ऱाष्ट्र भक्ति के नमूने मिडिया ही ढो रहा हेै
कुर्बानियों के गम मे डूबा मिडिया ही रो रहा है
हर खबर में मिडिया ,खबरे सियासी बो रहा है
ऱाष्ट्र की गरिमा का गौरव मिडिया ही खो रहा है
बस,कलम के और इलम के मजदूर होने चाहिये
इस जनतंत्र की हर भ्रष्टता से दूर हेाने चाहिये
श्रृष्टि के सोंन्दर्य से भरपूर होने चाहिये
कवि आग जैसी लेखनी के शूर होने चाहियें।।
राजेन्द्र प्रसाद बहुगुणा ;(आग)
मो09897399815