*नहीं रहे ‘जैन परंपरा और यापनीय संघ’ के लेखक व मूर्धन्य विद्वान प्रोफेसर रतनचन्द जी जैन भोपाल* *विद्वत जगत की अपूरणीय क्षति*


आपके प्रकाशित ग्रन्थ : 1. जैनदर्शन में निश्चय और व्यवहार नय : एक अनुशीलन , 2. जैनपरम्परा और यापनीयसंघ ( तीन खण्डों में ) , 3. जैनधर्म की मनोवैज्ञानिक पृष्ठभूमि , 4. जैनों की कुछ धारणाओं एवं विधियों की परीक्षा , 5 . जैन इतिहास और साहित्य पर आरोपित मिथ्यामत ।
आपको दिगंबर व श्वेतांबर जैन समाज ने अनेक पुरस्कारों से अलंकृत किया था, जिनमें अहिंसा इंटरनेशनल पुरस्कार, महाकवि आचार्य ज्ञानसागर पुरस्कार, संपादकाचार्य की उपाधि आदि प्रमुख थे।
आप सरल, सौम्य, उदार और परोपकारी व्यक्तित्व के धनी थे ।
आपने सन् 2001 से 2012 तक ‘ जिनभाषित ‘ मासिक पत्रिका का सम्पादन किया, यह पत्रिका आपके कुशल संपादन के लिए जानी जाती थी।
अब से ठीक एक वर्ष पूर्व 02 मार्च 2021 को आपकी नवीन प्रकाशित कृतियाँ 1. जैनधर्म की मनोवैज्ञानिक पृष्ठभूमि , 2. जैनों की कुछ धारणाओं एवं विधियों की परीक्षा , 3 . जैन इतिहास और साहित्य पर आरोपित मिथ्यामत, मुझे रजिस्टर्ड डाक से प्राप्त हुई थीं ।
मेरा सौभाग्य रहा कि आपका मार्गदर्शन मुझे भी प्राप्त हुआ है। एकबार भोपाल में शहपुरा में आपके आवास पर भी जाने का अवसर मिला।
आपके निधन से विद्वत्समाज एवं जैन समाज को अपूरणीय क्षति हुई है ।
*पूर्ण ना होगी क्षति,आपके इस स्थान की*।
*भाव अर्पित चरणों में,हम दे रहे भावांजलि*।।
विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शोकसंतप्त परिवार के प्रति गहन शोक संवेदना व्यक्त करता हूँ ।
🙏 *डॉ. सुनील जैन संचय ललितपुर*🙏🙏
