धर्म-कर्म
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*जरूरत है पुनः क्रियोद्धार की*👉जे. के संघवी
जिस प्रकार जीर्ण मंदिर का उद्धार होने पर जीर्णोद्धार कहा जाता है, उसी प्रकार क्रिया- आचरण की शिथिलता को दूर करना *क्रियोद्धार* कहा जाता ... -
सिरि भूवलय में प्राकृत गाथासूत्र
सिरि भूवलय में प्राकृत गाथासूत्र ೫. ಇಯ ಣಾಯಂ ಅವಹಾರಿಯ ಪರಂಪರಾಗದಂ ಮಣಸಾ| ಪುಲ್ವಾಇರಿಯಾ ಆರಾಣುಸರಣಂ ತಿರಯಣಣಿಮಿತ್ತಂll೫|| 5. इयणायं अवहारिय परंपरागदंमणसा। पुव्वाइरिया आराणुसरणं तिरयणणिमित्तं॥5॥ इस ... -
👉कैसे बंधते हैं अंतराय कर्म👉जानिए*अंतराय कर्म का स्वरूप*
*अंतराय कर्म*:- अंतराय यानि बाधा, रुकावट अर्थात् जो कर्म जीव की दान,लाभ, भोग-उपभोग यह पांच आत्मशक्ति गुण को पूर्णत: प्रकट नहीं होने देते। प्रकट ... -
23 वें दीक्षा दिवस के शुभावसर पर आचार्य श्री ज्ञानभूषण जी महाराज के चरण कमलों में एक पंक्ति भावांजलि👉 पी.एम.जैन
🙏 ज्ञानभूषण, ज्ञानाभूषण, हम नित-नित वंदन करते हैं हम अभिनन्दन करते हैं!! 👉यह, वात्सल्य की पराकाष्ठा, प्रेम की बात बताते हैं!इसलिए🙏हम नित-नित वंदन करते ... -
कोरोना संकट में ऑनलाइन सीखा जैन धर्म का रहस्य
इंदौर/ यंग जैन स्टडी ग्रुप के प्रमुख प्रकाश छाबड़ा एवं उनकी टीम ने कोरोना संकट में संपूर्ण देश भर के जिज्ञासु लोगों को ऑनलाइन ... -
*ज्ञानावरणीय कर्म का स्वरूप*👉जे.के.संघवी(थाने-आहोर)
वस्तु के स्वरूप को यथार्थ रूप से जानना ज्ञान है। जानने की शक्ति रूप ज्ञान आत्मा का स्वाभाविक गुण है। 🟢जो कर्म आत्मा की ... -
*आयुष्य कर्म का स्वरुप*👉जे.के.संघवी”(थाने-आहोर
🟢 *आयुष्य कर्म*:- इस कर्म की स्थिति से प्राणी जीता है और क्षय होने पर मर जाता है।यह कर्म कारागार के समान है।उदाहरण: जैसे ... -
*श्रावक शब्द की विविध व्याख्यायें*👉जे. के.संघवी
श्रावक शब्द *’श्रु ‘* धातु से बना है, जिसका अर्थ होता है श्रवण करना अथवा सुनना। जो शास्त्रों का श्रवण करता है उसे श्रावक ... -
कोरोना महामारी से मुक्ति व विश्वशांति के लिए सिद्ध क्षेत्र पावापुरी में किया गया शांतिनाथ महामंडल विधान व महायज्ञ।
पावापुरी (नालंदा) : वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के प्रकोप से मुक्ति व विश्वशांति के लिए जैन धर्म के 12 वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी ... -
श्रावक जीवन में निम्नांकित 21 गुणों को अपनाऐं और लक्ष्य को प्राप्त करें👉जे.के.संघवी
*श्रावक के 21 गुण* ⭐1) *अक्षुद्र*:श्रावक कभी मन का मैला नहीं ,बल्कि उदार होगा।⭐ 2) *रूपवान*: उसकी पांचों इंद्रियां अखंड है ।⭐3) *प्रकृति से ...