उदयपुर। दिनांक 30 मार्च 2019 को मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के जैनविद्या एवं प्राकृत विभाग में प.पू. आचार्यश्री आदिसागर ‘अंकलीकर’ महाराज की पावन स्मृति मेें प्राकृत शिरोमणि आचार्यश्री सुनीलसागर व्याख्यानमाला (प्रथम)’ सम्पन्न हुई। प्राकृत जैन एवं अहिंसा शोध संस्थान, वैशाली-बिहार के निदेशक-प्रो. ऋषभचन्द्र जैन ‘फौजदार’ ने ‘‘अप्पा सो परमप्पा’ की सार्वभौमिकता – आचार्य सुनीलसागरकृत प्राकृत साहित्य के सन्दर्भ में’’ विषय पर प्रमुख व्याख्यान दिया। प्रो. पारसमल कोठारी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के जैनविद्या एवं प्राकृत विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. जिनेन्द्र जैन ने संयोजन करते हुए आगन्तुक अतिथियों से सरस्वती देवी का माल्यार्पण व दीपप्रज्ज्वलन करवाया और डाॅ. सुमत जैन के साथ संयुक्तरूप से स्वागत वक्तव्य दिया। भारतीय प्राकृत स्कालर्स सोसायटी-उदयपुर के अध्यक्ष प्रो. प्रेमसुमन जैन ने सारस्वत अतिथि के रूप में विषय-भूमिका प्रस्तुत की, श्री अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत् परिषद् के महामंत्री और आचार्य आदिसागर अंकलीकर अन्तर्राट्रीय जागृति मंच के संयोजक डाॅ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’-इन्दौर ने अंकलीकर परम्परा का परिचय प्रस्तुत कर जागृति मंच के कार्य व उद्देश्यों को बताते हुए मंच की ओर से यह व्याख्यानमाला इसी रूप में निरन्तर चलाने की घोषणा की। सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय- मो.सुखाड़िया वि.वि. की अधिष्ठाता प्रो. साधना कोठारी ने मुख्य अतिथि के रूप में वक्तव्य दिया। प्रो. फौजदार के मुख्य व्याख्यान व अध्यक्षीय वक्तव्य के उपरान्त डाॅ. ज्योतिबाबू ने धन्यबाद ज्ञापित किया। व्याख्यानमाला के इस प्रथम प्रकल्प के पुण्यार्जक जागृति मंच के प्रान्तीय मंत्री श्री बलभद्र जैन-बांसबाड़ा (राज.) थे। कार्यक्रम का शुभारम्भ विश्विविद्यालय के कुलगीत एवं समापन राष्ट्रगान से हुआ।