समयसार ग्रंथ हमारे आचार्यों का, हमारे लिए दिया गया वरदान है। :- आचार्य 108 विभव सागर महाराज



उन्होंने कहा कि घर का लोटा गंगाजल से भर लिया जाए तो गंगाजल घर का जल नहीं हो जाता ठीक उसी प्रकार समयसार ग्रंथ को किसी संस्था विशेष द्वारा छपवाने पर, ग्रंथ उस संस्था की संपत्ति नहीं हो जाती है।
समयसार ग्रंथ सभी के लिए ग्रहण करने योग्य है इसके द्वारा आत्मा के निकट शीघ्रता से पहुंचा जा सकता है।
समयसार ग्रंथ सोनगढ़ का नहीं, समवशरण का ग्रंथ है और प्रत्येक, जो अपनी आत्मा का कल्याण करना चाहता है उसके लिए आत्म चिंतन की विषय वस्तु प्रदान करता है।
जब हम लक्ष्य निर्धारित करते हैं तभी सफलता प्राप्त होती है, ठीक उसी तरह जब तक हमारी आत्मा का परिचय हमें नहीं होगा उसके कल्याण की इच्छा कैसे हम कर सकेंगे।
आत्मा से परिचय नहीं है इसलिए हम आत्म गुणों को प्रकाशित नहीं कर पा रहे हैं।
णमोकार मंत्र में पंच परमेष्ठी को नमस्कार किया जाता है जैन धर्म, गुण प्रधान धर्म है व्यक्ति प्रधान नहीं। हमारे तीर्थंकर, सिद्ध, उपाध्याय,आचार्य साधु, सभी के लक्षण,निर्देश व परीक्षण कला शास्त्रों में वर्णित है।
हम अपनी बिटिया का विवाह करते वक्त वर की पूर्ण जानकारी प्राप्त कर लेते हैं ठीक उसी तरह हमारे आचार्यों ने हमारे पंच परमेष्ठी को जानने की जानकारी हमें दी है।
समाज के संजीव जैन संजीवनी ने बताया कि इस अवसर पर रामाशाह दिगंबर जैन मंदिर से जुड़े सभी गणमान्य व्यक्तियों के साथ सुरेंद्र काला, कमल काला, अभय अभिषेक जैन, टी के वेद, प्रदीप झांझरी, सुशील पांड्या,आदि मौजूद थे।
कार्यक्रम का संचालन कमल काला ने किया।
आचार्य श्री के मंगल प्रवचन प्रतिदिन सुबह 8:30 बजे से 9:45 बजे तक एवं दोपहर में 4:00 बजे से 5:30 बजे तक रामाशाह दिगंबर जैन मंदिर पर हो रहे हैं।
संजीव जैन संजीवनी