इन्दोर:-आपने क्रोध करके अपने आप का सबसे ज्यादा नुकसान किया है उसके लिए सबसे पहले स्वयं से क्षमा माँगना चाहिए। क्षमा दूसरों के द्वारा दी जाने वाली नहीं वरन स्वयं को अंगीकार करने वाली भावना है दूसरा क्षमा करें या ना करें हमें उसे क्षमा कर देना चाहिए।
आज पर्वाधिराज पर्युषण के समापन के बाद क्षमावाणी विषय पर ऑनलाइन प्रवचन करते हुए आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज ने बिहार राज्य के वैशाली से यह बात कही।
उन्होंने कहा कि
दूसरे को प्रभावित करना या दूसरे से प्रभावित होना इस बात की निशानी है कि आपमें क्षमा का अभाव है।
क्षमाशील व्यक्ति ना तो किसी को प्रभावित करता है और ना ही किसी से प्रभावित होता है।
इंदौर:- क्षमावाणी पर्व, इंदौर में कांच मंदिर पर सामूहिक रूप से 100 वर्षों से भी अधिक समय से मनाया जाता रहा है विपदा के इस काल में व्यक्तिगत दूरी का ख्याल रखना है इस कारण इस वर्ष परंपरागत रूप से क्षमावाणी ऑनलाइन मनाई जा रही है।
दिगंबर जैन सामाजिक संसद के अध्यक्ष राजकुमार पाटोदी, सुशील पंड्या, राजेंद्र सोनी व संजीव जैन “संजीवनी” ने बताया कि पिछले वर्षों की भांति ही इस वर्ष भी शाम 5:00 बजे से ऑनलाइन क्षमावाणी मनाई जाएगी।
पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व के साथ-साथ पंचमेरू, सोलह कारण व अन्य पर्व भी अनंत चतुर्दशी के साथ समापन हो गए हैं रत्नत्रय व्रत की आराधना व्रत पर्व आज (3 सितंबर) समाप्त हो जाएगी। इन सभी व्रतों का पालन करने वाले महा व्रतियों को दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद द्वारा प्रशस्ति पत्र द्वारा सम्मानित भी किया जाएगा।
ऑनलाइन व टीवी पर प्रसारित कार्यक्रमों में सर्वप्रथम इंदौर में विराजमान सभी संतो के दर्शन, श्रीजी का अभिषेक, आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के संघस्थ ब्रह्मचारी श्री सुनील भैया के प्रवचन होंगे इसके बाद सभी पदाधिकारी, आमजन से क्षमा याचना करेंगे।
दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद द्वारा इस आपदा काल में कार्य करने वाले सभी मीडिया कर्मियों, प्रशासनिक अधिकारियों, सफाई कर्मियों, स्वास्थ्य सेवाओं में कार्यरत व्यक्तियों, जल एवं बिजली कार्य में लगे सभी साथियों का अभिनंदन ज्ञापित किया है और इन सभी कोरोना वीरो से अपनी ज्ञात और अज्ञात गलतियों के लिए क्षमा मांगी।