Paras Punj

Main Menu

  • होम
  • देश
  • विदेश
  • राज्य
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • खेल
  • ज्योतिष
  • हेल्थ
  • धर्म-कर्म
  • लेख-विचार
  • अपराध
  • राजनीति
  • शिक्षा

logo

Paras Punj

  • होम
  • देश
  • विदेश
  • राज्य
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • खेल
  • ज्योतिष
  • हेल्थ
  • धर्म-कर्म
  • लेख-विचार
  • अपराध
  • राजनीति
  • शिक्षा
प्रवचन
Home›प्रवचन›जीवन में हर पल करें स्वाभाविक शांति का विकास👉आचार्य सुनीलसागर

जीवन में हर पल करें स्वाभाविक शांति का विकास👉आचार्य सुनीलसागर

By पी.एम. जैन
September 22, 2020
706
0
Share:
जीवन में हर पल करें स्वाभाविक शांति का विकास – आचार्य सुनीलसागर
जियो और जीने दो ऐसे सिद्धांतों की बारी है।
माना कि मानवता की चहुँ ओर हो रही ख्वारी है।
किन्तु इसे संभाले रखना, हम सबकी ही जिम्मेदारी है।
21 सितम्बर को जब संपूर्ण विश्व शांति दिवस मना रहा है, जगह जगह शांति की खोज के लिए तरह तरह के आयोजन हो रहे हैं, इससे एक बात तो तय है कि इस आपाधापी की बाहरी भौतिक आकर्षण वाली जिंदगी में जीने के लिए शांति की अनिवार्यता है। वरना विश्व को शांति दिवस अलग से मनाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती।
विश्व शांति दिवस पर प्रासंगिक प्रवचन से उपकृत करते हुए शांतिनाथजी-प्रतापगढ़ (राजस्थान) में विराजमान परम पूज्य गुरुदेव आचार्य सुनील सागरजी महाराज ने कहा कि आज विश्व तथाकथित विकास के पैमाने पर खुद को कितना ही विकसित क्यों न समझ रहा हो किन्तु यत्र-तत्र-सर्वत्र, अन्दर-बाहर सभी जगह अशांति से त्रस्त है। अशांति की भीषण ज्वाला में व्यक्ति, समाज, राष्ट्र और अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय झुलस रहा है। 
आज भौतिक समृद्धि, विविध प्रकार के बल मद के जमाने में मानव का मानव होना बहुत मुश्किल हो चला है। कोई किसी को कुछ नहीं समझता है। प्रभु महावीर ने सही मायनों में विश्व को असीम अखंड शांति का सूत्र मंत्र दिया था- जियो और जीने दो। बंधुओ, इसका कहीं भी कोई भी विकल्प नहीं है। इसलिए इसे संभाले रखना हम सबकी जिम्मेदारी है।
हम अपने संयममय व्यवहार, प्रेममय आचरण, बाँटकर खाने व रहन सहन की जीवनशैली को आत्मसात कर बाहर की शांति में अपना योगदान कर ही सकते हैं। विश्व शांति का सत्य और अहिंसा के जरिए आत्म साक्षात्कार करने वाले वर्तमान भारतीय महामानव मोहनदास करमचंद गांधी ने सिद्ध कर दिया कि जीवन के लिए शांति अनिवार्य ही नहीं अपितु अंतिम विकल्प रहित उपाय है। 
भव्य आत्माओ, शांति हमारा निज स्वभाव है। परम शांति के लिए, स्थायी शांति के लिए हमारे भीतर की शांति का होना आवश्यक है। वे कहते हैं कि मैं स्वयं शांति का सागर हूँ। हमारे भीतर स्वाभाविक शांति उसी तरह रची बसी है जैसे भूमि के गर्भ में जल। हम जमीन में जितने जितने नीचे जाते हैं उतना उतना शीतल जल हमें प्राप्त होता है। ठीक उसी प्रकार जितना जितना हम निज स्वभाव को प्राप्त कर लेते हैं, हमारे अंदर उतनी ही शांति गहरी होती जाती है, बढ़ती चली जाती है और यह आंतरिक शांति ही बाह्य वातावरण में शांति का संचार कर सकती है।
21 सितंबर को ही हमें शांति दिवस नहीं मनाना अपितु हर समय, हर पल, हर दिन हमारे शांति दिवस का पुरुषार्थ होना चाहिए। विकल्पों से दूर रहकर शांति को अपनाओ। इस अशांति में तो हमारे कितने जन्म निकल गए? नरक में गया जहाँ एक श्वांस जितने समय में 18 बार जन्म-मरण की अकथनीय यातनाओं को सहन किया। इसलिए अब तो शांति धारण करने पुरुषार्थ करें। पर्यायों में आसक्त होकर इस जीव ने अभी रत्नत्रय की प्राप्ति नहीं की, इसलिए संसार परिभ्रमण करता रहा।
जिस आसक्ति के लिए अशांति है उसका एक तिनका भी साथ नहीं जाना। एक समय में एक मर्यादा से अधिक भोग-उपभोग भी नहीं करना फिर बेकार की आपाधापी करके आन्तरिक-बाहरी शांति को क्यों खोते हो? शांति किसी भी कीमत पर मिले फिर भी सस्ती है। सभी जीव शांति के निज स्वभाव की ओर बढ़ें इसी मंगलमय कामना के साथ।
संकलन- ब्र. अमृता दीदी
-डाॅ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’, इन्दौर 9826091247
Previous Article

आत्मनिर्भर भारत:-P.G.Enterprises,दिल्ली

Next Article

आत्मनिर्भर अभियान के नाम पर, इंस्पेक्टर निर्भरता ...

0
Shares
  • 0
  • +
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0

Related articles More from author

  • प्रवचन

    *धर्म बचपन से शुरू करे पचपन से नही*

    January 21, 2020
    By पी.एम. जैन
  • प्रवचन

    *पुज्यपाद स्वाध्याय तपस्वी वैज्ञानिक धर्माचार्य श्री कनकनंदी जी गुरुराज द्वारा समस्त श्रावको को हितोपदेश -*

    August 1, 2024
    By पी.एम. जैन
  • प्रवचन

    🌺बारह भावना🌺नं.10*धर्म भावना*👉जे के संघवी

    June 23, 2020
    By पी.एम. जैन
  • प्रवचन

    पिच्छिधारी के चक्कर रोटी लगाती है :आचार्य विमदसागर

    January 14, 2021
    By पी.एम. जैन
  • प्रवचन

    तीन लोक में वीतराग-विज्ञानता सर्वोत्तम है – एलाचार्य अतिवीर मुनि

    July 26, 2020
    By पी.एम. जैन
  • प्रवचन

    🌸बारह भावना🌸 नं.5*अन्यत्य भावना*👉जे के संघवी

    June 18, 2020
    By पी.एम. जैन

  • धर्म-कर्म

    मदन लाल जैन ने धारण किया ब्रह्मचर्य व्रत

  • धर्म-कर्म

    धनतेरस-धन्य तेरस की जैन परम्परा में अवधारणा

  • ज्योतिष

    सोते समय पर सौभाग्यसूचक सपने

ताजा खबरे

  • वर्तमान की सभी विकृतियों का समाधान,केवल महावीर*डा निर्मल जैन*जज*
  • जैन समाज में दुःखद खबर
  • जैन विद्या के विविध आयाम युवा विद्वत्संगोष्ठी एवं विद्वत् सम्मेलन सफलता पूर्वक सम्पन्न 51 विद्वान हुए सम्मिलित
  • श्री महावीर जी संग्रहालय की दुर्लभ जिन प्रतिमाऍ
  • देव शास्त्र गुरु अनुशीलन राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी सम्पन्न
  • भौतिकवादी संसार में शांत, सुखी जीवन का मार्ग*दशलक्षणपर्व* -डॉ निर्मल जैन (से.नि.) न्यायाधीश नई दिल्ली
  • जैन पर्व अनुशीलन राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी सफलतापूर्वक संपन्न
  • *महिला जैन मिलन पारस द्वारा आयोजित तीज कार्यक्रम में रजनी जैन वाइफ ऑफ राहुल जैन बनी तीज क्वीन*
  • भीतर से खोखले ही होते हैं-डॉ.निर्मल जैन (से.नि.न्यायाधीश)
  • गोमेद व अम्बिका यक्ष-यक्षी की स्वतंत्र युगल प्रतिमाएँ

Find us on Facebook

विज्ञापन

मेन्यू

  • होम
  • देश
  • विदेश
  • राज्य
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • खेल
  • ज्योतिष
  • हेल्थ
  • धर्म-कर्म
  • लेख-विचार
  • अपराध
  • राजनीति
  • शिक्षा

ताजा खबरे

  • वर्तमान की सभी विकृतियों का समाधान,केवल महावीर*डा निर्मल जैन*जज*
  • जैन समाज में दुःखद खबर
  • जैन विद्या के विविध आयाम युवा विद्वत्संगोष्ठी एवं विद्वत् सम्मेलन सफलता पूर्वक सम्पन्न 51 विद्वान हुए सम्मिलित
  • श्री महावीर जी संग्रहालय की दुर्लभ जिन प्रतिमाऍ
  • देव शास्त्र गुरु अनुशीलन राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी सम्पन्न
  • भौतिकवादी संसार में शांत, सुखी जीवन का मार्ग*दशलक्षणपर्व* -डॉ निर्मल जैन (से.नि.) न्यायाधीश नई दिल्ली
  • जैन पर्व अनुशीलन राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी सफलतापूर्वक संपन्न
  • *महिला जैन मिलन पारस द्वारा आयोजित तीज कार्यक्रम में रजनी जैन वाइफ ऑफ राहुल जैन बनी तीज क्वीन*
  • Home
  • Contact Us