Paras Punj

Main Menu

  • होम
  • देश
  • विदेश
  • राज्य
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • खेल
  • ज्योतिष
  • हेल्थ
  • धर्म-कर्म
  • लेख-विचार
  • अपराध
  • राजनीति
  • शिक्षा

logo

Paras Punj

  • होम
  • देश
  • विदेश
  • राज्य
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • खेल
  • ज्योतिष
  • हेल्थ
  • धर्म-कर्म
  • लेख-विचार
  • अपराध
  • राजनीति
  • शिक्षा
प्रवचन
Home›प्रवचन›जीवन में हर पल करें स्वाभाविक शांति का विकास👉आचार्य सुनीलसागर

जीवन में हर पल करें स्वाभाविक शांति का विकास👉आचार्य सुनीलसागर

By पी.एम. जैन
September 22, 2020
353
0
Share:
जीवन में हर पल करें स्वाभाविक शांति का विकास – आचार्य सुनीलसागर
जियो और जीने दो ऐसे सिद्धांतों की बारी है।
माना कि मानवता की चहुँ ओर हो रही ख्वारी है।
किन्तु इसे संभाले रखना, हम सबकी ही जिम्मेदारी है।
21 सितम्बर को जब संपूर्ण विश्व शांति दिवस मना रहा है, जगह जगह शांति की खोज के लिए तरह तरह के आयोजन हो रहे हैं, इससे एक बात तो तय है कि इस आपाधापी की बाहरी भौतिक आकर्षण वाली जिंदगी में जीने के लिए शांति की अनिवार्यता है। वरना विश्व को शांति दिवस अलग से मनाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती।
विश्व शांति दिवस पर प्रासंगिक प्रवचन से उपकृत करते हुए शांतिनाथजी-प्रतापगढ़ (राजस्थान) में विराजमान परम पूज्य गुरुदेव आचार्य सुनील सागरजी महाराज ने कहा कि आज विश्व तथाकथित विकास के पैमाने पर खुद को कितना ही विकसित क्यों न समझ रहा हो किन्तु यत्र-तत्र-सर्वत्र, अन्दर-बाहर सभी जगह अशांति से त्रस्त है। अशांति की भीषण ज्वाला में व्यक्ति, समाज, राष्ट्र और अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय झुलस रहा है। 
आज भौतिक समृद्धि, विविध प्रकार के बल मद के जमाने में मानव का मानव होना बहुत मुश्किल हो चला है। कोई किसी को कुछ नहीं समझता है। प्रभु महावीर ने सही मायनों में विश्व को असीम अखंड शांति का सूत्र मंत्र दिया था- जियो और जीने दो। बंधुओ, इसका कहीं भी कोई भी विकल्प नहीं है। इसलिए इसे संभाले रखना हम सबकी जिम्मेदारी है।
हम अपने संयममय व्यवहार, प्रेममय आचरण, बाँटकर खाने व रहन सहन की जीवनशैली को आत्मसात कर बाहर की शांति में अपना योगदान कर ही सकते हैं। विश्व शांति का सत्य और अहिंसा के जरिए आत्म साक्षात्कार करने वाले वर्तमान भारतीय महामानव मोहनदास करमचंद गांधी ने सिद्ध कर दिया कि जीवन के लिए शांति अनिवार्य ही नहीं अपितु अंतिम विकल्प रहित उपाय है। 
भव्य आत्माओ, शांति हमारा निज स्वभाव है। परम शांति के लिए, स्थायी शांति के लिए हमारे भीतर की शांति का होना आवश्यक है। वे कहते हैं कि मैं स्वयं शांति का सागर हूँ। हमारे भीतर स्वाभाविक शांति उसी तरह रची बसी है जैसे भूमि के गर्भ में जल। हम जमीन में जितने जितने नीचे जाते हैं उतना उतना शीतल जल हमें प्राप्त होता है। ठीक उसी प्रकार जितना जितना हम निज स्वभाव को प्राप्त कर लेते हैं, हमारे अंदर उतनी ही शांति गहरी होती जाती है, बढ़ती चली जाती है और यह आंतरिक शांति ही बाह्य वातावरण में शांति का संचार कर सकती है।
21 सितंबर को ही हमें शांति दिवस नहीं मनाना अपितु हर समय, हर पल, हर दिन हमारे शांति दिवस का पुरुषार्थ होना चाहिए। विकल्पों से दूर रहकर शांति को अपनाओ। इस अशांति में तो हमारे कितने जन्म निकल गए? नरक में गया जहाँ एक श्वांस जितने समय में 18 बार जन्म-मरण की अकथनीय यातनाओं को सहन किया। इसलिए अब तो शांति धारण करने पुरुषार्थ करें। पर्यायों में आसक्त होकर इस जीव ने अभी रत्नत्रय की प्राप्ति नहीं की, इसलिए संसार परिभ्रमण करता रहा।
जिस आसक्ति के लिए अशांति है उसका एक तिनका भी साथ नहीं जाना। एक समय में एक मर्यादा से अधिक भोग-उपभोग भी नहीं करना फिर बेकार की आपाधापी करके आन्तरिक-बाहरी शांति को क्यों खोते हो? शांति किसी भी कीमत पर मिले फिर भी सस्ती है। सभी जीव शांति के निज स्वभाव की ओर बढ़ें इसी मंगलमय कामना के साथ।
संकलन- ब्र. अमृता दीदी
-डाॅ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’, इन्दौर 9826091247
Previous Article

आत्मनिर्भर भारत:-P.G.Enterprises,दिल्ली

Next Article

आत्मनिर्भर अभियान के नाम पर, इंस्पेक्टर निर्भरता ...

0
Shares
  • 0
  • +
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0

Related articles More from author

  • प्रवचन

    {जिज्ञासा ज्ञान को बढ़ाती है: आचार्य विरागसागर}

    September 17, 2020
    By पी.एम. जैन
  • प्रवचन

    🌹बारह भावना🌹नं.7*आश्रव भावना*👉जे के संघवी

    June 19, 2020
    By पी.एम. जैन
  • प्रवचन

    समयसार ग्रंथ हमारे आचार्यों का, हमारे लिए दिया गया वरदान है। :- आचार्य 108 विभव सागर महाराज

    May 15, 2019
    By पी.एम. जैन
  • प्रवचन

    क्षमता और सामर्थ्य हो तो संकल्प वचन सिद्धि-नियम का पालन किया जा सकता है-आचार्य सुनील सागर जी

    October 20, 2019
    By पी.एम. जैन
  • प्रवचन

    रामाशाय दिगम्बर जैन मंदिर, मल्हारगंज में आचार्य ससंघ का मंगल प्रवेश एवं प्रवचन ।

    May 15, 2019
    By पी.एम. जैन
  • प्रवचन

    धर्म के बिना किसी का कल्याण नहीं हो सकता है:आचार्य विमदसागर मुनिराज

    June 28, 2021
    By पी.एम. जैन

  • धर्म-कर्म

    युवतियां कैसे करें पर्युषण पर्व की तैयारी?👉रूचि अनेकांत जैन

  • देश

    भारतीय संस्कृति पर पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव

  • राजनीति

    जैन राजनैतिक चेतना मंच का राष्ट्रीय अधिवेशन

ताजा खबरे

  • 17 जनवरी को शनिदेव का कुम्भ राशि में प्रवेश जानिए शुभाशुभ योग
  • वैदिक ज्योतिष से जानिए इन पांच कारणों से आती है नौकरी-बिजनेस में बाधा, ये हो सकते हैं उपाय
  • दिखाओ चाबुक तो झुक कर सलाम करते हैं, हम वो शेर हैं जो सर्कस में काम करते हैं।-डॉ. निर्मल जैन (जज)
  • श्री सम्मेद शिखर जी प्रकरण- नवबर्ष पर समस्त जैन समाज की पहली जीत
  • 🌺नव वर्ष संकल्प🌺 नए साल को एक नयी परिपाटी प्रारंभ करें-डॉ.निर्मल जैन(जज से.नि.)
  • शास्त्रि-परिषद का विद्वत् शिक्षण प्रशिक्षण शिविर का द्वितीय दिवस
  • अहिंसा संविधान की मूल भावना-अशोक गहलोत मुख्यमंत्री (राजस्थान)
  • अंग्रेजी नूतन वर्ष 2023 पर विशेष : कलेंडर बदलिए अपनी संस्कृति नहीं -डॉ सुनील जैन, संचय, ललितपुर
  • शिखर जी प्रकरण पर संत गर्जना- जनबल से झुकती है सरकार, 18 दिसम्बर को लालकिला मैदान पर आओ 50 हजार
  • पांच सौ वर्षों के बाद नवरंगपुर मुनिराजों का मंगलप्रवेश

Find us on Facebook

विज्ञापन

मेन्यू

  • होम
  • देश
  • विदेश
  • राज्य
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • खेल
  • ज्योतिष
  • हेल्थ
  • धर्म-कर्म
  • लेख-विचार
  • अपराध
  • राजनीति
  • शिक्षा

ताजा खबरे

  • 17 जनवरी को शनिदेव का कुम्भ राशि में प्रवेश जानिए शुभाशुभ योग
  • वैदिक ज्योतिष से जानिए इन पांच कारणों से आती है नौकरी-बिजनेस में बाधा, ये हो सकते हैं उपाय
  • दिखाओ चाबुक तो झुक कर सलाम करते हैं, हम वो शेर हैं जो सर्कस में काम करते हैं।-डॉ. निर्मल जैन (जज)
  • श्री सम्मेद शिखर जी प्रकरण- नवबर्ष पर समस्त जैन समाज की पहली जीत
  • 🌺नव वर्ष संकल्प🌺 नए साल को एक नयी परिपाटी प्रारंभ करें-डॉ.निर्मल जैन(जज से.नि.)
  • शास्त्रि-परिषद का विद्वत् शिक्षण प्रशिक्षण शिविर का द्वितीय दिवस
  • अहिंसा संविधान की मूल भावना-अशोक गहलोत मुख्यमंत्री (राजस्थान)
  • अंग्रेजी नूतन वर्ष 2023 पर विशेष : कलेंडर बदलिए अपनी संस्कृति नहीं -डॉ सुनील जैन, संचय, ललितपुर
  • Home
  • Contact Us