द्रोणगिरि में विराजमान परमपूज्य आचार्य श्री पारस सागर जी महाराज की निर्मल परिणामों के साथ सम्मेदशिखर की भाव वंदना करते हुए पारसनाथ टोंक के ध्यान के साथ ओंम नमः सिद्धेभ्या के उच्चारण के साथ समाधि धारण करते हुए दिनांक 26 दिसम्बर को दोपहर 12.55 बजे अंतिम समाधि हुई ।
इतनी अच्छी समाधि अनन्त जन्मों की साधना के प्रतिफल से ही मिलती हैं।
दिनांक 28 दिसम्बर को प्रातः 8 बजे अस्थि विसर्जन एवं दोपहर 1 बजे विनयांजलि सभा का आयोजन किया गया है।
सानिध्य आचार्य श्री अभिनन्दन सागर जी महाराज ससंघ एवं मुनि श्री विरंजन सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में होगी।
आप सभी से अनुरोध है अवश्य ही पधारें ।
आप सभी अनुरोध है कि समस्त इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं प्रिंट मीडिया में एवं अपने नगरों के जैन मंदिरों में विनयांजलि सभा की सूचना लगाने में सहयोग करें। क्योंकि सभी जगह पत्र भेजना सम्भव नहीं है। इसलिए इस माध्यम को ही सूचना एवं आमंत्रण स्वीकार करें।