रक्षाबंधन पर्व पर *मेरा मन मेरा विचार*- पी.एम.जैन * ज्योतिष विचारक* एवं पं.राधेश्याम शर्मा *ज्योतिष वाचस्पति* दिल्ली।
आज रक्षाबंधन मनाने को लेकर समाज भ्रमित हो रहा है जोकि विचारणीय विषय बन गया है,सोशल मीडिया पर अपनी-अपनी डुगडुगी बज रहीं हैं कि कहीं मेरी मूॅंछ नीचे न हो जाए क्योंकि रक्षाबंधन को लेकर किसी ने इंटरनेट पर या सोशल मीडिया पर या फिर *नवोदित ज्योतिषी* जो पंचांग के एक पृष्ठ की गणना तक नहीं कर सकते ऐसे कुछ तथाकथितों ने सूक्ष्म रूप में सही गणना न करते हुए अपने-अपने समुदाय में समय से पूर्व ही अपने-अपने हिसाब से रक्षाबंधन की तारीखों की घोषणा कर रखी है जोकि हास्य का विषय बन गया है अब बात तो यह है कि मूॅंछ नीचे कौन करे,अरे भाई मूॅंछ नीची हो या ऊॅंची परन्तु रहेगी अपने ही मुॅंह पर, कोई बात नहीं मिस्टेक हो जाती हैं, अब उसमें भद्रा आदि जैसी मीनमेख निकालकर जनता के बीच भ्रम की स्थिति पैदा न करके पुण्यार्जन के पात्र बनें। *अब बात आती है कि रक्षाबंधन 11को या 12 को मनाना चाहिए, इस विषय पर हमारा मानना है कि जिस दिन सूर्योदय जिस ग्रह की प्रथम होरा में होता है तो उसी ग्रह के नाम पर पूरा दिन मान्य होता है इसी भाॅंति व्रत, उपवास या साधना क्षेत्र में सूर्योदय कालीन तिथि ही पूरे दिन के लिए मान्य होनी चाहिए क्योंकि- रामनवमी,दुर्गाअष्टमी,एकादशी,रक्षाबंधन,भैयादूज,भ्रातद्वितीया,गुरूपूर्णिमा आदि संबंधित कर्मकाल दिन में पड़ता है इसलिए इन्हें दिनव्रत के नाम से जाना जाता है और दिनव्रत के लिए सूर्योदय कालीन तिथि ही श्रेष्ठ है। इसलिए हास्य का विषय न बनाते हुए, रक्षाबंधन पर्व पर मेरा मन मेरा विचार एवं सूक्ष्म गणना के माध्यम से हमारा सुझाव है कि रक्षाबंधन 12 अगस्त, शुक्रवार को शुभ मुहूर्त में हर्षोल्लास के साथ मनाना चाहिए। प्रतिपदा की चिंता न करें क्योंकि प्रतिपदा तिथि का क्षय है यानी पढ़वा (एकम)शून्य है।
*सोशल मीडिया पर अपनी-अपनी ढ़पली अपनी ताल के माध्यम से कुछ विद्वानजनों का कहना कि सूर्यास्त के बाद राखी नहीं बांधनी चाहिए तो सूर्यदेव को वंदन करने वाले और सूर्यदेव को विशेष मान्यता देने वाले ऐसे विद्वानों को सूर्योदय कालीन तिथि से क्या परहेज है?.
ध्यान रहे- भद्रा कहीं भी रहे लेकिन विशेष पर्वों पर भद्रा समय का त्याग होना अत्यंत आवश्यक है। कहते हैं कि रावण की बहन सूपर्णखा ने बदले की भावना से रावण को भद्रा में राखी बांधी थी जिसके कारण रावण का 1 वर्ष में ही सर्वनाश हो गया था।
*नोट-बन्धुओं यह हमारे निजी विचार और हमारी सूक्ष्म गणना है किसी की भावनाओं को आहत करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है सभी से करबद्ध निवेदन है कि कृपया तर्क-वितर्क का विषय न बनायें आपकी अति कृपा होगी। रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाऐं एवं धन्यवाद।।
पी.एम.जैन * ज्योतिष विचारक* मोबाइल नं- 9718544977 एवं पं.राधेश्याम शर्मा *ज्योतिष वाचस्पति दिल्ली। मोबाइल नं- 83682 43149