अंग्रेजी नूतन वर्ष 2023 पर विशेष : कलेंडर बदलिए अपनी संस्कृति नहीं -डॉ सुनील जैन, संचय, ललितपुर

अंग्रेजी वर्ष 2022 को अलविदा, 2023 का स्वागत। पिछले दो वर्ष कोरोना के साए में जिए, वर्ष 2022 में हमें उससे निजात मिली लेकिन वर्ष के अंतिम सप्ताह में एकबार फिर कोविड का भय सताने लगा है, एकबार फिर सावधान होने की जरूरत है।
नया साल दुनिया में सबसे अधिक मनाया जाने वाले दिनों में से एक है। इस दिन को अलग-अलग रीति-रिवाजों और परंपराओं से आकार दिया जाता है। इस दिन पर नए साल के मंगलमय गुजरने की ख़ुशी में और आने वाले साल की अच्छी कामना के लिए संकल्प लिया जाता है। यूं तो पूरे विश्व में नया साल अलग-अलग दिन मनाया जाता है और भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में भी नए साल की शुरूआत अलग-अलग समय होती है। लेकिन अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 1 जनवरी से नए साल की शुरूआत मानी जाती है। चूंकि 31 दिसंबर को एक वर्ष का अंत होने के बाद 1 जनवरी से नए अंग्रेजी कैलेंडर वर्ष की शुरूआत होती है। इसलिए इस दिन को पूरी दुनिया में नया साल शुरू होने के उपलक्ष्य में त्यौहार की तरह मनाया जाता है। चूंकि साल नया है, इसलिए नई उम्मीदें, नए सपने, नए लक्ष्य, नए आईडियाज के साथ इसका स्वागत किया जाता है। नया साल मनाने के पीछे मान्यता है कि साल का पहला दिन अगर उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाए, तो साल भर इसी उत्साह और खुशियों के साथ ही बीतेगा।
हालांकि 1 जनवरी को मनाए जाने वाला नया वर्ष भारतीय संस्कृति का नहीं है। भारत में पश्चिमी सभ्यता के बढ़ते चलन के कारण नव वर्ष का दिन 1 जनवरी, भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण उत्सव का दिन माना जाता है। हिन्दू नववर्ष का आगाज गुड़ी पड़वा से होता है।
जैन परंपरा में भगवान महावीर स्वामी के निर्वाणोत्सव के अगले दिन से नए वर्ष का शुभारंभ माना जाता है। वीर निर्वाण संवत् भारत का प्रमाणिक और सबसे प्राचीन संवत है। लेकिन 1 जनवरी को नया वर्ष लोग उत्साह से मनाते हैं। 31 दिसंबर की रात से ही कई स्थानों पर अलग-अलग समूहों में इकट्ठा होकर लोग नए साल का जश्न मनाना शुरू कर देते हैं और रात 12 बजते ही सभी एक दूसरे को नए साल की शुभकामनाएं देते हैं। नए साल के दिन लोग एक दूसरे को कई प्रकार से शुभकामनाएं संदेश भेजते हैं। लोग एक दूसरे को ग्रीटिंग कार्ड देते हैं, व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्वीट आदि सोशल मीडिया के माध्यम से सुंदर-सुंदर फोटो, संदेह भेजते हैं और सोशलमीडिया द्वारा अपने दूर बैठे मित्रों और रिश्तेदारों को नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं। यह भी सच है कि पश्चिम से आये इस अंग्रेजी वर्ष के पहले दिन का स्वागत हम भोग, विलास के आयोजनों से करते हैं। इस दिन खासतौर से हमारा युवा वर्ग न जाने कितने अनैतिक कार्यों में लिप्त होकर इसका स्वागत करता है। जबकि होना यह चाहिए कि हम नव वर्ष का स्वागत नए संकल्प और अच्छे कार्यों के साथ करें। इस दिन को पूजा, प्रार्थना और परोपकार के कार्यों लगाना चाहिए ताकि पूरा वर्ष हमें एक नई दिशा दिखाए, उन्नति के नई सूत्र हमें प्राप्त हों पर अफसोस हमारा युवा वर्ग पश्चिमी आवोहवा इतना बह गया है कि वह अपना विवेक खोता जा रहा है। नया वर्ष मनाने की सार्थकता तो तभी है जब हम इस दिन असहाय की मदद करें, अपने धन का सदुपयोग करें , जरूरतमंदों के सहारा बनें, प्रभु प्रार्थना करें कि यह वर्ष खुशियों से भरा हो, दुःखद अतीत वापस न आये, पर्यावरण के संरक्षण में योगदान , माता पिता के सम्मान , स्वच्छता की सपथ लेने के संकल्प लें।
हमारे पूज्य संत भी अब युवा पीढ़ी को जागरूक कर रहे हैं। 1 जनवरी को अब अनेक जगह विविध धार्मिक आयोजन होने से युवा पीढ़ी को अंग्रेजी नव वर्ष के प्रथम दिवस भोग-विलास की जगह धर्म से जोड़ रहे हैं, यह अच्छी पहल है।
कोविड के दौर ने हमें बहुत कुछ सिखाया है। हमें 2023 में संयम की सीख लेनी होगी। पिछले दो वर्ष कोविड के साये में जिए, विकासवादी मानव को सीमा, संयम में रहने के लिए सृष्टि का सबक है। हम अब भी कुछ सीख न ले पाए तो आगे बहुत कुछ और खोने के लिए भी तैयार रहें। दिसम्बर 2022 के अंतिम सप्ताह में एकबार फिर हमें कोविड का भय सता रहा है। चीन में हालात बिगड़ चुके हैं इसलिए भारत सरकार अभी से चौकन्नी हो गयी है। हमें एक बार पुनः सावधानी की जरूरत है।
नया साल एक नई शुरूआत को दर्शाता है और हमेशा आगे बढ़ने की सीख देता है। पुराने साल में हमने जो भी किया, सीखा, सफल या असफल हुए उससे सीख लेकर, एक नई उम्मीद के साथ आगे बढ़ना चाहिए। जिस प्रकार हम पुराने साल के समाप्त होने पर दुखी नहीं होते बल्कि नए साल का स्वागत बड़े उत्साह और खुशी के साथ करते हैं, उसी तरह जीवन में भी बीते हुए समय को लेकर हमें दुखी नहीं होना चाहिए। जो बीत गया उसके बारे में सोचने की अपेक्षा आने वाले अवसरों का स्वागत करें और उनके जरिए जीवन को बेहतर बनाने की कोशिश करें।
नव वर्ष का दिन सभी लोगों को बताता है कि अब हमें बीते हुए साल को खुशी खुशी विदा कर देना चाहिए और खुशी-खुशी नए साल का स्वागत करना चाहिए। जीवन में हमेशा अतीत को भुलाकर वर्तमान के विषय में सोचना चाहिए जिससे हमारा आने वाला भविष्य उज्जवल बने।
जैन समाज के लिए यह वर्ष उतार- चढ़ाव वाला रहा। जहाँ अनेक ऐतिहासिक कार्य हुए वहीं अनेक विवादस्पद कार्यों से दो चार होना पड़ा। विद्वानों में अनेक विषयों पर चिंतन, मंथन और ऊहापोह रहा। वर्ष के जाते जाते हमारी आन-बान-शान और प्राणों से प्यारा शाश्वत जैन सिद्धक्षेत्र सम्मेदशिखर जी पर सरकार द्वारा उत्पन्न किए गए संकट के कारण सड़क पर आंदोलन के लिए उतरना पड़ा, सभी साधुओं, संस्थाओं, विद्वानों, जैन पत्रकारों, समाज के प्रत्येक वर्ग ने सम्मेदशिखर जी के संरक्षण के लिए जो एकजुटता दिखाई वह प्रसंशनीय है। वर्तमान दौर में एकता ही जीत की गारंटी देता है। हमारा यह संघर्ष अब भी निरंतर जारी है।
2022 हमसे बिछड़ गया है, यादों के झुरमुट में कुछ पन्ने और जुड़ जाएंगे…क्या खोया क्या पाया…किसको खोया कैसे खोया… क्या जीवन मैं लाँक डाउन जैसा लम्हा फिर आएगा…जिंदगी ठहर सी गई थी उन 21 दिनों मैं….मोबाइल पर ज़ूम मीटिंग का दौर चला…बुजुर्गों के लिए तो यह वक़्त वरदान बनकर आया…दादा दादी को बच्चों का सानिध्य मिला।
खट्टी मिट्ठी यादों के साथ कैलेंडर बदल गया है।
न भारतीयो नव संवत्सरोयं
तथापि सर्वस्य शिवप्रद: स्यात् ।
यतो धरित्री निखिलैव माता
तत: कुटुम्बायितमेव विश्वम् ।।
यद्यपि यह नव वर्ष भारतीय नहीं है, तथापि सबके लिये कल्याणप्रद हो; क्योंकि सम्पूर्ण विश्व हमारा कुटुम्ब ही तो है !
पता : ज्ञान-कुसुम भवन, नेशनल कान्वेंट स्कूल के सामने, 874/1, गांधीनगर, नईबस्ती, ललितपुर उत्तर प्रदेश
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