17 जनवरी को शनिदेव का कुम्भ राशि में प्रवेश जानिए शुभाशुभ योग

टोंक। शनिदेव जो दण्ड देने वाले न्यायाधीश है, 17 जनवरी मंगलवार को सांय 5.59 बजे अपनी कुम्भ राशि में जिसके स्वामी स्वयं शनिदेव है, धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण में नक्षत्र स्वामी मंगल है प्रवेश करेंगे, प्रवेश के समय चन्द्रदेव विशाखा नक्षत्र, वृश्चिक राशि में विचरण करेंगे नक्षत्र स्वामी देव गुरु बृहस्पति राशि स्वामी मंगल है, शनि देव का कुम्भ राशि में विचरण करने का फल, धन्य, धान्य की भरपुर पैदावार होती है, वर्षा प्रचुर व समयानुकुल होती है, विवाह आदि मांगलिक कार्य अधिक होते हैं, धर्म का प्रचार एवं प्रसार होता है, शनि देव के धनिष्ठा नक्षत्र में भ्रमण करते समय धनिकों, श्रीमंतो बड़े वर्ग के व्यापारियों के लिए मध्यम होती है, शनिदेव 15 मार्च को प्रात: 1.34 बजे शतभिषा नक्षत्र स्वामी राहु में प्रवेश करेंगे, शतभिषा नक्षत्र में भ्रमण के समय उच्च आय वर्ग वालों के लिए श्रेष्ठ होता है, मनु ज्योतिष एवं वास्तु शोध संस्थान टोंक के निर्देशक महर्षि बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि शनिदेव का कुम्भ राशि में विचरण पूर्ण वर्ष रहेगा, मकर राशि उतरती कुम्भ राशि शुभारंभ, मीन राशि चढ़ती साढै़ साती रहेगी, कर्क वृश्चिक राशि वालों को शनि की ढैया रहेगी, चन्द्र देव से शनि गोचर पाये अनुसार फल, कर्क, तुला, मीन, राशि वालों को चांदी के पाये उत्तम उद्योग, व्यापार में भाग्योदय, भूमि वाहनादि सुख स्त्री सन्तान आदि सुखों की प्राप्ति होती है, मिथुन, वृश्चिक, मकर राशि वालों को सोने के पाये शरीर कष्ट रोग की सम्भावना तनाव मेहनत का लाभ नहीं आय की अपेक्षा खर्चा अधिक होता है, वृष, कन्या, कुम्भ राशि वालों को तांबे के पाये, विद्या वाहन, धन लाभ दाम्पत्य सुख, पदोन्नति आदि की प्राप्ति होती है, मेष सिंह धनु राशि वालों को लोहे के पाये, धन हानि व्यापार में विध्न, पारिवारिक क्लेश रोग पीड़ा, आय की अपेक्षा खर्चा अधिक चोट आदि की सम्भावना रहती है। महर्षि बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि शनि देव के अशुभ फलों की निवृत्ति के लिए प्रत्येक शनिवार को तिल का तेल कांसे के बर्तन में डाल कर उसमें अपना मुंह देख कर शनिश्चर को दान देना चाहिए, भूखे लोगों को खाना खिलाये काले वस्त्र कम्बल आदि का दान करना चाहिए, शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए, शनिवार को शुद्ध जल, काला, तिल, दूध, चीनी एवं पीपल के पेड़ की जड़ में पश्चिमामिमुख होकर चढ़ावे ।