*दिव्य मंत्र महाविज्ञान*


ग्यारहवें दिन उन्हें अपने आप लग जाएगा कि मंत्र कितने प्रभावी होते हैं।
यही क्रम बना रहे तो इक्कीसवें दिन से दिव्य अनुभूतियां प्राप्त होनी आरंभ हो जाएंगी।
मंत्र साधना के लिए पहले छोटे से छोटे किसी एकाक्षरी मंत्र का अनुष्ठान करें।
इसके एक लाख जप होते ही यह मंत्र सिद्ध हो जाता है।
इसके बाद कोई सा बड़ा मंत्र हो, उसकी सिद्धि अपने आप हो जाती है ‘ ऊँ ’ का संपुट लगा कर करने से।
जो साधक मंत्र सिद्धि प्राप्त कर लेते हैं उन्हें न किसी से भय लगता है, न कभी असुरक्षा भाव का बोध होता है। न उन्हें किसी भ्रष्ट, बेईमान और बड़े आदमी की लल्लो-चप्पो या चापलुसी करने की आवश्यकता होती है।
जीवन में निर्भयता और अनूठी मस्ती पाने के लिए मंत्रों का सहारा लें और मनुष्यों की परिक्रमा या झूठा जयगान जैसे घृणित और हीन कार्यों का त्याग कर भगवान का चिंतन करें। ईश्वर ही है जो जीवन में सब कुछ देने वाला है।@Dr.Deepak Acharya
नोट-पारस पुॅंज हिन्दी मासिक समाचार पत्र उपरोक्त विषय की पुष्टि नहीं करता किसी योग्य विद्वान का परामर्श और सानिध्य अवश्य लें क्योंकि गलत ढंग से उच्चारण आदि नुकसान दायक भी हो सकता है।
