लेख-विचार
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दुनिया के कुछ लोग, जो कहते हैं मुझें “पापी”👉पी.एम.जैन
धन पावना के लिए अपने कमलगट्टों को धार्मिक कार्यक्रमों के लिए देते हैं प्रेरणा👉पी.एम.जैन “पापी” दिल्ली मैं लेख के माध्यम से उन महानुभावों का ... -
जैन साहित्य का महत्त्व-👉प्रो. वीरसागर जैन, दिल्ली
देश की राजधानी दिल्ली के प्रगति मैदान में 13 जनवरी 2019 विश्व पुस्तक मेले के अवसर पर हमने भारतीय ज्ञानपीठ की ओर से ... -
पर्दाफ़ाश 👉 आखिर क्यों बनते हैं अनावश्यक मन्दिर?.
“कुछ तो सल्लो बाबरी और कुछ लीं भूतों ने घेर” -पी.एम.जैन नई दिल्ली -: आज भरत जी के भारत देश में इतने अधिक प्राचीन मन्दिर ... -
क्या कहता वास्तुदोष और मृत्युभोज “क्या आप भी खाते हैं “तेरहवीं ” का खाना?.तो अब छोड़ दें !
वास्तुदोष का ढ़िढ़ोरा पीटने से पहले, अपने ब्रह्माण्ड रूपी शरीर का वास्तु ठीक करना चाहिए- पी.एम.जैन नई दिल्ली -: वास्तुशास्त्रियों का कहना है कि ... -
*💦व्यवहार की दुकान💦*
एक कुशल व्यापारी अपनी दुकान ऐसे ही बेटे को सोंपता है जो व्यवहार कुशल हो।जिसमें व्यवहार कुशलता,विनम्रता एवं जिसकी वाणी ... -
मोक्षमार्ग में कोई बाईपास मार्ग नहीं होता
“मोक्षमार्ग कोई मोर नृत्य नहीं जिसमें आगे सुन्दरता और पीछे़….. दिखाई पडे़”- पी.एम.जैन नई दिल्ली -: पंचमकाल के मनुष्य की शारीरिक एवं मानसिक क्षमता ... -
बेटी भगवान की बुराई सुन सकती है लेकिन पापा की नहीं ! संकलन👉 पी.एम.जैन
👉:- पीड़ित करने वाले के अगर बेटी होती और उसे विदा करने का अवसर आता तब उसे पता चलता कि अन्धकार किसे कहते हैं। ... -
पिता पक्ष को समर्पित
*पिता की सख्ती बर्दाश करो,ताकि काबील बन सको! • *पिता की बातें गौर से सुनो, ताकि दुसरो की न सुननी पड़े! • *पिता के ... -
आज का इतिहास गवाह है- पी.एम.जैन
सामाजिक स्तर पर जब से अनावश्यक दुकान रूपी मठ-मन्दिरों की परम्परा पनपने लगी तब से समाजें आपसी प्रेम – सद्भाव छोड़कर पतन की ओर ...