मोक्षमार्ग में कोई बाईपास मार्ग नहीं होता
“मोक्षमार्ग कोई मोर नृत्य नहीं जिसमें आगे सुन्दरता और पीछे़….. दिखाई पडे़”- पी.एम.जैन
नई दिल्ली -: पंचमकाल के मनुष्य की शारीरिक एवं मानसिक क्षमता को ध्यान में रखते हुए हमारे महान पूज्यवरों ने मोक्षमार्ग जैसे महामुक्ति मार्ग के पथिकों के लिए मार्ग की नियमावली में महत्वपूर्ण कटौती करते हुए सुलभ और सुगम नियमावली की स्थापना काल प्रभाव से पूर्व ही सुनिश्चित कर दी थी | जिसके अन्तर्गत जंगलों में रहकर तपस्या करने के स्थान पर नगरों-शहरों,कस्बों के मंदिर, धर्मशाला इत्यादि में रहकर तपस्या करने का निर्देश दिया ! जिससे मोक्षमार्ग के पथिक को तपस्चार्या करने में सुगम्यता महसूस होती रहे | सुगम्यता के कारण मोक्षमार्गी स्व-पर का कल्याण करते हुए स्वयं के सर्वोच्च लक्ष्य तक सरलता से पहुँच जाये| लेकिन….
आज के इन्टरनेट युग में कुछ मोक्षमार्ग के पथिक इन्टरनेट सुसज्जित मोबाईल पर इन्टरनेट के माध्यम से पूर्व पूज्यवरों द्वारा सुनिश्चित मोक्षमार्ग जैसे मार्ग में भी “बाईपास” जैसा मार्ग ढ़ूँढ़ने में दिन-रात लगे रहते हैं|
आगम में निर्देशित परिग्रह जैसे नियमों की धज्जियाँ उड़ाने वाले इन पथिकों को कौन समझाये कि सच्चे मार्ग का रास्ता पूज्यवरों द्वारा रचित सच्चे शास्त्रों में ही वर्णित है | यह आचरण रूपी मार्ग इन्टरनेट इत्यादि जैसे अश्लीलता से परिपूर्ण मिश्रित सुविधाओं पर उपलब्ध नहीं है|
आज के प्रगतिशील आधुनिक युग में भी तपस्या का इंटरव्यू इन्टरनेट पर नहीं हो सकता क्योंकि यह इन्टरनेट जैसी सुविधा तो सांसारिक ज्ञान- विज्ञान और व्यापारियों तक ही सीमित है जिसके अन्तर्गत सांसारिक शिक्षा और व्यापारिक योग्यता का इन्टरव्यू ही लिया- दिया जा सकता है अन्त: के आन्नद का नहीं |
पंचमकाल का मनुष्य चाहे कितना भी ड़िजिटल हो जाये लेकिन मोक्ष और मोक्षमार्ग में बाईपास का नक्शा इन्टरनेट पर उपलब्ध नहीं करा सकता है लेकिन वर्तमान में आश्चर्य होता है जब मोक्षमार्ग के कुछ पथिक सच्चें शास्त्रों को त्यागकर इन्टरनेट सुसज्जित मोबाईल पर ना जाने क्या ढूँढ़ते हैं ?
जनता को पुण्य -पाप इत्यादि का झांसा देकर गुमराह करने वाले मोक्षमार्ग के कुछ पथिक स्वयं के नाम-दाम जैसी अर्थव्यवस्था में संलग्न हैं जोकि मोक्षमार्ग के पथिक कदापि नहीं हो सकते बल्कि धन पावना के पथिक हो सकते हैं |
बन्धुओं, गम्भीरता पूर्वक विचार करें कि “लालच का त्यागी, लालच देनें पर भी न ललचाये” वह त्यागी नहीं महा त्यागी होता है जैसे- मोक्ष के अधिकारियों के चलने के वास्ते देवताओं ने उनके चरणों में सोने के पुष्प बिछा दिये लेकिन दृड.संकल्पिक परिग्रह के त्यागियों ने उन स्वर्ण पुष्पों को भी ठुकरा दिया था |परन्तु…..
आज के कुछ अपरिग्रह व्रतधारी बाईपास के साथ -साथ पंखा -कूलर-एसी, गाड़ी, निजी धाम बंगला और मोबाईल पर ही रीझ रहे हैं जोकि रीझनें और रिझानें वाले दोनों के लिए शुभ संकेत नहीं देते हैं |
प्रिय पाठकगणों ध्यान रखना यह मोक्षमार्ग कोई “मोर नृत्य” नहीं है जिसमें आगे की तरफ तो सुन्दरता दिखाई पड़े और पीछे की तरफ पिछ़़वाड़ा दिखाई पडे़| यह मोक्षमार्ग उन्हीं अनुभवी मोक्ष के अधिकारियों द्वारा बतलाया गया मार्ग है जिसमें कोई बाईपास नहीं होता है |-पी.एम.जैन (ज्योतिष विचारक) मो. 09718544977 दिल्ली|