मुझे प्रतीत होता है कि आज के आधुनिक दौर में जीवन यापन करने वाले अभिभावकों के लिए यह संकलन किया लेख अपने बच्चों के वास्ते प्रेरणा
दायक सिद्ध होगा
जो नीचे निम्न
लिखित है-👇
बाज पक्षी जिसे हम ईगल या शाहीन भी कहते है। जिस उम्र में बाकी परिंदों के बच्चे चिचियाना सीखते है उस उम्र में एक मादा बाज अपने चूजे को पंजे में दबोच कर सबसे ऊँचा उड़ जाती है। पक्षियों की दुनियाँ में ऐसी Tough and tight training किसी भी ओर की नही होती।मादा बाज अपने चूजे को लेकर लगभग 12 Kmt. ऊपर ले जाती है!जितने ऊपर अमूमन हवाई जहाज उड़ा करते हैं और वह दूरी तय करने में मादा बाज 7 से 9 मिनट का समय लेती है।
यहाँ से शुरू होती है उस नन्हें चूजे की कठिन परीक्षा। उसे अब यहाँ बताया जाएगा कि तू किस लिए पैदा हुआ है? तेरी दुनियाँ क्या है? तेरी ऊँचाई क्या है? तेरा धर्म बहुत ऊँचा है और फिर मादा बाज उसे अपने पंजों से छोड़ देती है।धरती की ओर ऊपर से नीचे आते वक्त लगभग 2 Kmt. उस चूजे को आभास ही नहीं होता कि उसके साथ क्या हो रहा है। 7 Kmt. के अंतराल के आने के बाद उस चूजे के पंख जो कंजाइन से जकड़े होते है, वह खुलने लगते है, लगभग 9 Kmt. आने के बाद उनके पंख पूरे खुल जाते है। यह जीवन का पहला दौर होता है जब बाज का बच्चा पंख फड़फड़ाता है।
अब धरती से वह लगभग 3000 मीटर दूर है लेकिन अभी वह उड़ना नहीं सीख पाया है। अब धरती के बिल्कुल करीब आता है जहाँ से वह देख सकता है उसके स्वामित्व को। अब उसकी दूरी धरती से महज 700/800 मीटर होती है लेकिन उसका पंख अभी इतना मजबूत नहीं हुआ है कि वह उड़ सके।
धरती से लगभग 400/500 मीटर दूरी पर उसे अब लगता है कि उसके जीवन की शायद अंतिम यात्रा है,फिर अचानक से एक पंजा उसे आकर अपनी गिरफ्त मे लेता है और अपने पंखों के दरमियान समा लेता है।
यह पंजा उसकी माँ का होता है जो ठीक उसके ऊपर चिपक कर उड़ रही होती है। और उसकी यह ट्रेनिंग निरंतर चलती रहती है जब तक कि वह उड़ना नहीं सीख जाता।
यह ट्रेनिंग एक कमांडो की तरह होती है।. तब जाकर दुनियाँ को एक बाज़ मिलता है अपने से दस गुना अधिक वजनी प्राणी का भी शिकार करता है।
हिंदी में एक कहावत है👉”बाज़ के बच्चे मुँडेर पर नहीं उड़ते।”
बेशक अपने बच्चों को अपने से चिपका कर रखिए पर उसे दुनियाँ की मुश्किलों से रूबरू कराइए, उन्हें लड़ना सिखाइए। बिना आवश्यकता के भी संघर्ष करना सिखाइए। यह Tv के रियलिटी शो और अंग्रेजी स्कूल की बसों ने मिलकर आपके बच्चों को “ब्रायलर मुर्गे” जैसा बना दिया है जिसके पास मजबूत टंगड़ी तो है पर चल नही सकता। वजनदार पंख तो है पर उड़ नही सकता क्योंकि👉गमले के पौधे और जंगल के पौधे में बहुत फ़र्क होता है।