दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आर्टिकल 370 हटाने के निर्णय पर दिया समर्थन
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा- केंद्र सरकार के जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 को हटाने के निर्णय का हम समर्थन करते हैं|
नई दिल्ली :- 5 अगस्त!! जम्मू-कश्मीर को लेकर केन्द्र सरकार ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर बिल पेश किया| गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को हटा दिया गया है,अब इसके सभी खंड लागू नहीं होंगे! जिसके चलते विपक्ष ने सदन में जमकर हंगामा किया और इसका विरोध किया वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार का साथ दिया है| उन्होंने ट्वीट कर कहा कि केंद्र सरकार के जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 को हटाने के निर्णय का हम समर्थन करते हैं|केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार का यह निर्णय सही है और हम पूरी तरह से इसका समर्थन करते हैं| उन्होंने कहा कि आशा है इस निर्णय के बाद जम्मू कश्मीर में शाँति बहाल होगी और राज्य का विकास भी होगा|
We support the govt on its decisions on J & K. We hope this will bring peace and development in the state.— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) August 5, 2019
गृहमंत्री अमित शाह ने सदन में कश्मीर के पुनर्गठन प्रस्ताव भी पेश किया! उनके ऐलान के बाद विपक्ष ने सदन में हंगामा शुरू कर दिया| विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने उन्हें इस तरह के किसी बिल की पहले जानकारी नहीं दी थी|
गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में तीन संकल्प को रखा|इनमें पहले संकल्प को रखते हुए शाह ने कहा कि आर्टिकल 370 को हटा दिया गया है| दूसरा, आर्टिकल 35A को भी खत्म कर दिया गया है| तीसरा, जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है| यानि लद्दाख को अब जम्मू-कश्मीर से अलग कर दिया गया है जिसकी वजह से अब लद्दाख भी अलग केंद्र शासित प्रदेश होगा| हालांकि, जम्मू-कश्मीर विधानसभा बनी रहेगी|राज्यसभा में अमित शाह के बयान से पहले कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कश्मीर मुद्दा उठाया! उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों को हाउस अरेस्ट किया गया है! ऐसे में गृह मंत्री को घाटी की स्थिति पर बयान देना चाहिए| काँग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद को जबाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वह हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्हें उनकी बात सदन में कहने दी जाये|