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Home›ज्योतिष›जन्मकुण्डली एवं वास्तु में सन्तान उत्पति में बाधक योग क्या है

जन्मकुण्डली एवं वास्तु में सन्तान उत्पति में बाधक योग क्या है

By पी.एम. जैन
March 12, 2020
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जन्म कुण्डली में सन्तान का विचार पंचम (5th) भाव और भावेश और पंचमभाव के कारक ग्रह गुरु से किया जाता है। जब इन पर पाप प्रभाव हो या भावेश और भाव कारक ग्रह गुरु निर्बल हो पंचमभाव में नीच ग्रह हो अशुभ ग्रह हो तो सन्तान उत्पति में बाधा आती है।
सन्तान बाधा योग-
👉1-जब पंचेमश  नीच का होकर त्रिकभाव 6,8,12  स्थत्ति हो।
👉2- कारक ग्रह गुरु निर्बल होकर त्रिकभाव मे स्थित  हो।
👉3- पंचम भाव के नीच ग्रह स्थित हो।
👉4- पंचम भाव मे राहु केतु स्थित हो और शत्रु राशि गत हो।
👉5-कुण्डली के प्रथम ,पंचम ,नवम भाव ,एकादश भाव मे राहु के स्थित होने पर सन्तान के लिए अशुभ होता है। पंचम भाव मे कोई भी ग्रह  नीच का हो  और साथ ही राहु केतु स्व पीड़ित होने पर और ग्रहण ,जड़, चंडाल , एवं पितरदोष आदि बनने के कारण भी सन्तान सुख में बाधा आती है।
👉6- जब पंचम भाव और एकादश भाव मे विष योग बनता हो।
👉7- पंचम भाव मे  निर्बल चद्रं  नीच या अमवासिया का चद्रं  पाप ग्रहों से पीड़ित हो या पाप कर्तरी दोष में हो तो भी सन्तान सुख में बाधा आती है।
👉8- शादी के समय गुण मिलान  में नाड़ी दोष होना और भी सन्तान सुख में बाधा देता है।
👉9- कुण्डली गुण मिलान पूर्ण तय नहीं होने पर भी  सन्तान बाधा होती है।
👉10- पंचमेश निर्बल हो  या पंचम भाव पर निर्बल ग्रह जो शत्रु राशिगत हो वक्री या अस्त हो  तब भी सन्तान सुख में बाधा आती है।
👉11-कुण्डली में पंचम या 11th हाउस में  कर्क राशि  सिंह राशि में मंगल ,सूर्य , शनि राहु या केतु की युति हो तब भी सन्तान सुख में बाधा आती है।
👉वास्तु अनुसार भी सन्तान उत्पति में बाधा के कारण-👇
👉घर के ईशान कोण यानी उत्तर- पूर्व दिशा में कोई भी वास्तु दोष जैसे भारी निर्माण, ईशान कोण का कटा होना या  ऊँचा होना, सीढियाँ, टॉलेट आदि का होना संतान सुख होने में रुकावट डालता है। ईशान कोण के पूरी तरह से अवरुध होने पर संतान प्राप्ति में बड़ी बाधा आती है।अतः ईशान कोण में कोई भी वास्तु दोष है तो सर्वप्रथम उस दोष का उपाय योग्य वास्तुकार से परामर्श करके अवश्य करें।शास्त्रों में हरिवंश पुराण एवं गोपाल संतान नामक स्त्रोत का पाठ संतान प्राप्ति के लिए फलदायी बताया गया है । बाल कृष्णा की आराधना भी संतान  प्राप्ति के लिए फलदायी है। इसके अलावा बृहस्पति ग्रह संतान का नैसर्गिक कारक है। बृहस्पति ग्रह को पुखराज रत्न आदि धारण करके  उसे बल दें।
👉वास्तु उपाय-👇
👉हाथी फर्टिलिटी का कारक है।  जो भी दंपत्ति संतान प्राप्ति के इच्छुक हैं उन्हें हाथी का चित्र अपने बेडरूम में लगाना चाहिए।
👉कमरे में फल इत्यादि रखें मुख्यतः अनार और जौ की फ़र्टिलिटी का कारक है।
👉पत्नी को पति की बायीं दिशा में सोना चाहिए।
👉ध्यान रहे पति-पत्नी का बिस्तार छत की बीम के नीचे नहीं होना चाहिए।
👉नवदंपत्ति जो नया परिवार शुरू करना चाहते  हैं उनके लिए वायव्या (NW)कमरा आदर्श स्थान है। पर गर्भाधन के बाद दम्पत्ति को दक्षिण / दक्षिण-पश्चिम  भाग के शयन कक्ष  में चला जाना चाहिए ताकी गर्भ सुरक्षित रहें।
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