Paras Punj

Main Menu

  • होम
  • देश
  • विदेश
  • राज्य
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • खेल
  • ज्योतिष
  • हेल्थ
  • धर्म-कर्म
  • लेख-विचार
  • अपराध
  • राजनीति
  • शिक्षा

logo

Paras Punj

  • होम
  • देश
  • विदेश
  • राज्य
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • खेल
  • ज्योतिष
  • हेल्थ
  • धर्म-कर्म
  • लेख-विचार
  • अपराध
  • राजनीति
  • शिक्षा
धर्म-कर्म
Home›धर्म-कर्म›क्या”हवन”करने से महामारी जैसी बीमारी समाप्त हो जाती है जानिए👉हवन का वैज्ञानिक महत्व

क्या”हवन”करने से महामारी जैसी बीमारी समाप्त हो जाती है जानिए👉हवन का वैज्ञानिक महत्व

By पी.एम. जैन
March 14, 2020
1409
0
Share:
नई दिल्ली -: हिन्दू सनातन धर्म में पूजा का सबसे अच्छा मार्ग हवन और यज्ञ है। इस विधि से भगवान को सदियों पहले से ही हमारे ऋषि मुनि रिझाते हुए आये हैं । यज्ञ को अग्निहोत्र कहते हैं। अग्नि ही यज्ञ का प्रधान देवता है। हवन में डाली गई सामग्री प्रसाद सीधे हमारे आराध्य देवी देवताओं तक पवित्र अग्नि के माध्यम से जाता है। वैज्ञानिक तथ्यानुसार जहाॅ हवन होता है, उस स्थान के आस-पास रोग उत्पन्न करने वाले कीटाणु शीघ्र नष्ट हो जाते हैं ।
👉मनुष्य जीवन में यज्ञ और हवन का बहुत महत्व बताया गया है।यज्ञ हवन से देवी देवताओं की पूजा अर्चना ही नही बल्कि हवन यज्ञ से प्रदूषित वातावरण को भी शुद्ध किया जाता।* यज्ञ हवन भी एक चिकित्सा पद्धति मानी गयी और हवन यज्ञ के माध्यम से विभिन्न बीमारियों का इलाज किया जाता है।
यज्ञोपैथी का पुराना वैदिक इतिहास है और जब चिकित्सा की अन्य पद्धतियां मौजूद नहीं थी तो यज्ञ हवन आदि से ही वातावरण को बीमारी रहित बनाया जाता था।👉फ़्रांस के ट्रेले नामक वैज्ञानिक ने हवन पर रिसर्च की। जिसमें उन्हें पता चला की हवन मुख्यतः आम की लकड़ी को जलाकर की जाती है।
जब👉आम की लकड़ी जलती है तो फ़ॉर्मिक एल्डिहाइड नामक गैस उत्पन्न होती है जो खतरनाक बैक्टीरिया और जीवाणुओं को मारती है तथा वातावरण को शुद्ध करती है। इस रिसर्च के बाद ही वैज्ञानिकों को इस गैस और इसे बनाने का तरीका पता चला।
👉गुड़ को जलाने पर भी ये गैस उत्पन्न होती है। टौटीक नामक वैज्ञानिक ने हवन पर की गयी अपनी रिसर्च में ये पाया की 👉यदि आधे घंटे हवन में बैठा जाये अथवा हवन के धुएं से शरीर का सम्पर्क हो तो टाइफाइड जैसे खतरनाक रोग फ़ैलाने वाले जीवाणु भी मर जाते हैं और शरीर शुद्ध हो जाता है।
👉हवन की महत्ता को देखते हुए राष्ट्रीय वनस्पति अनुसन्धान संस्थान लखनऊ के वैज्ञानिकों ने भी इस पर एक रिसर्च किया है* कि क्या वाकई हवन से वातावरण शुद्ध होता है और जीवाणु नाश होते है अथवा नही होते हैं ? उन्होंने ग्रंथों में वर्णिंत हवन सामग्री जुटाई और जलाने पर पाया कि ये विषाणु नाश करती है।
👉फिर उन्होंने विभिन्न प्रकार के धुएं पर भी शोध किया और देखा कि सिर्फ आम की लकड़ी मात्र एक किलो जलाने से हवा में मौजूद विषाणु बहुत कम नहीं हो गये किन्तु उसमें जैसे ही उसके ऊपर आधा किलो हवन सामग्री डाल कर जलायी गयी तो एक घंटे के भीतर ही कक्ष में मौजूद बैक्टीरिया का स्तर ९४ % कम हो गया।
👉यही नहीं उन्होंने आगे भी कक्ष की *हवा में मौजुद जीवाणुओ का परीक्षण किया* और पाया कि कक्ष के दरवाज़े खोले जाने और *सारा धुआं निकल जाने के २४ घंटे बाद भी जीवाणुओं का स्तर सामान्य से ९६ प्रतिशत कम था।* बार-बार परीक्षण करने पर ज्ञात हुआ कि इस एक बार के धुएं का असर एक माह तक रहा और उस कक्ष की वायु में विषाणु स्तर 30 दिन बाद भी सामान्य से बहुत कम था।
👉यह रिपोर्ट एथ्नोफार्माकोलोजी के शोध पत्र में दिसंबर  2007 में प्रकाशित हो चुकी है। रिपोर्ट में लिखा गया कि हवन के द्वारा न सिर्फ मनुष्य बल्कि वनस्पतियों एवं फसलों को नुकसान पहुचाने वाले बैक्टीरिया का भी नाश होता है। जिससे फसलों में रासायनिक खाद का प्रयोग कम हो सकता है।
👉हवन करने से न सिर्फ भगवान ही खुश होते हैं बल्कि घर की शुद्धि भी हो जाती है। हवन यज्ञ का ही परिणाम है कि ओजोन परतों के छेद कम होने लगे हैं।👉भारत के अतिरिक्त चीन, जापान, जर्मनी और यूनानआदि देशों में अग्नि को पवित्र माना जाता है। इन देशों में विभिन्न प्रकार की धूप जलाने का चलन है। वस्तुत: अग्नि में जो वस्तु जलाई जाती है उसका स्वरूप सूक्ष्म से सूक्ष्मतर हो जाता है। आधुनिक परमाणु वैज्ञानिकों ने अब इस तथ्य को पूर्णत: आत्मसात कर लिया है कि स्थूल से सूक्ष्म कहीं अधिक शक्तिशाली है।
👉यज्ञ में चार प्रकार के हव्य पदार्थ डाले जाते हैं। सुगंधित-केसर, अगर, तगर, गुग्गल, कपूर, चंदन, इलायची, लौंग, जायफल, जावित्री आदि।पुष्टिकारक-घृत, दूध, फल, कंद, मखाने, अन्न, चावल जौ, गेहूं, उड़द आदि। मिष्ट-शक्कर, शहद, छुहारा, किशमिश, दाख आदि। रोगनाशक-गिलोय, ब्राह्मी, शंखपुष्पी, मुलहठी, सोंठ, तुलसी आदि औषधियां अर्थात जड़ी-बूटियां जो हवन सामग्री में डाली जाती हैं।
प्राय: 👉लोगों का विचार है कि यज्ञ में डाले गए घृत आदि पदार्थ व्यर्थ ही चले जाते हैं परंतु उनका यह विचार ठीक नहीं है। विज्ञान के सिद्धांत के अनुसार कोई भी पदार्थ कभी नष्ट नहीं होता अपितु उसका रूप बदलता है।यथा बर्फ का पिघल कर जल रूप में बदलना, जल का वाष्प रूप में बदल कर उड़ जाना। रूप बदलने का अर्थ नष्ट होना नहीं बल्कि अवस्था परिवर्तन है। बस यही सिद्धांत यज्ञ पर भी चरितार्थ होता है।
👉यज्ञ में डाले गए पदार्थ सूक्ष्म होकर आकाश में पहुंच जाते हैं। यज्ञ में पौष्टिक, सुगंधित और रोगनाशक औषधियों की हवन सामग्री से दी गई आहुतियों से पर्यावरण की शुद्धि होती है। सभी पदार्थ सूक्ष्म होकर पृथ्वी, आकाश, अंतरिक्ष में जाकर अपना प्रभाव दिखाते हैं। इससे मनुष्य, अन्य जीव-जंतु एवं वनस्पतियां सभी प्रभावित होते हैं। यज्ञ से शुद्ध हुई जलवायु से उत्पन्न औषधि, अन्न और वनस्पतियां आदि भी शुद्ध एवं निर्दोष होते हैं। वायु, जल आदि जो देव हैं वे यज्ञ से शुद्ध हो जाते हैं, आकाश मंडल निर्मल और प्रदूषणमुक्त हो जाता है। यही उन देवताओं का सत्कार और पूजा है।
👉अग्रि में समर्पित पदार्थ आकाश मंडल में पहुंच कर मेघ बनकर वर्षा में सहायक होते हैं। वर्षा से अन्न और अन्न से प्रजा की तुष्टि-पुष्टि होती है। इस प्रकार जो अग्निहोत्र करता है वह मानो प्रजा का पालन करता है। परमात्मा ने मनुष्य को बहुत कुछ दिया है परंतु क्या मनुष्य ने भी परमात्मा को यज्ञ के द्वारा कुछ दिया है? परमात्मा स्वयं वेद में कहता है :देहि में द दामि ते।। तुम मुझे दो, मैं तुम्हें देता हूँ।अत: यज्ञ करते हुए बड़े प्रेम से वेदमंत्र बोल कर आहूति दो जिससे मन शुद्ध, पवित्र और निर्मल बन जाए , प्रदूषण समाप्त हो जाए और विश्व का कल्याण हो।
अगर सम्भव हो तो हर मनुष्य को सप्ताह में एक बार अपने आवास में और प्रत्येक माह किसी मंदिर या सार्वजनिक स्थानों पर हवन (यज्ञ) अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से बड़ी से बड़ी बीमारी और महामारी से अपने परिवार और इस संसार को बचाया जा सकता है|
सम्पूर्ण समाचार पत्र विस्तार से पढ़ने के लिए हमारे व्हाटसप नं. 9718544977 से जुड़े|धन्यवाद
Previous Article

जन्मकुण्डली एवं वास्तु में सन्तान उत्पति में ...

Next Article

नाम के लिए नहीं महान के लिए ...

0
Shares
  • 0
  • +
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0

Related articles More from author

  • धर्म-कर्म

    जैनभाईयों आओ श्री सम्मेद शिखर बचाओ

    October 16, 2018
    By पी.एम. जैन
  • धर्म-कर्म

    इटावा उत्तर प्रदेश की दीक्षार्थी 3 सगी बहनों ने आचार्य श्री ज्ञानभूषण जी महाराज से लिया आशीर्वाद

    September 26, 2019
    By पी.एम. जैन
  • धर्म-कर्म

    जैन समाज स्वतंत्रता दिवस एवं भगवान पार्श्वनाथ मोक्ष कल्याणक धूमधाम से मनाएंगा।

    August 14, 2021
    By पी.एम. जैन
  • धर्म-कर्म

    अद्भुत चर्या के धनी हैं सनातन संतमणि बाबा सियाराम जी

    June 19, 2020
    By पी.एम. जैन
  • धर्म-कर्म

    अष्टलक्ष्मी:जानिए महालक्ष्मी के 8 विविध स्वरूप👉P.m.jain

    November 11, 2020
    By पी.एम. जैन
  • धर्म-कर्म

    {सर्वपितृ अमावस्या, अकाल मृत्यु वालों का कब होता है श्राद्ध}

    September 16, 2020
    By पी.एम. जैन

  • लेख-विचार

    🌺नव वर्ष संकल्प🌺 नए साल को एक नयी परिपाटी प्रारंभ करें-डॉ.निर्मल जैन(जज से.नि.)

  • धर्म-कर्म

    सूरिमंत्र अनेक और भ्रम भी अनेक

  • राज्य

    राजस्थान में पहली बार महिला ट्रेनर के साथ हुआ ड्राइविंग स्कूल का शुभारंभ

ताजा खबरे

  • जैन तीर्थ नैनागिरि में फिर टूटे ताले
  • महर्षि बाबूलाल शास्त्री जयपुर में वैदिक संस्कृति संरक्षक एवं महामहोपाध्याय पंडित राजेन्द्र शास्त्री पाण्डेय सम्मान से सम्मानित
  • जो प्यासे हो तो साथ रखो अपना पानी भी,विरासत में तुम्हें कोई कुआं नहीं देगा। डॉ. निर्मल जैन (से.नि.जज)
  • सम्प्रदायवाद,जातिवाद से दूर सभी संत,पंथ को स्वीकार्य धर्म के दशलक्षण-डॉ निर्मल जैन (से.नि.) जज
  • *दिव्य मंत्र महाविज्ञान*
  • *जैन मंदिर में आयोजित हुआ विधान व वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव*
  • नौकरी, पदोन्नति और ज्योतिष-पारसमणि जैन*ज्योतिष विचारक* दिल्ली
  • #जैन धर्म का अति प्राचीन तीर्थ है गिरनार # डा.पवन गौड
  • तिलक (टीका) हाथ की किस उंगली से किसका करें- संकलन* पारसमणि जैन*ज्योतिष विचारक* दिल्ली
  • जन्म कुण्डली अनुसार *गुरु ग्रह की महादशा* और परिणाम।संकलन-पारसमणि जैन *ज्योतिष विचारक* दिल्ली।

Find us on Facebook

विज्ञापन

मेन्यू

  • होम
  • देश
  • विदेश
  • राज्य
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • खेल
  • ज्योतिष
  • हेल्थ
  • धर्म-कर्म
  • लेख-विचार
  • अपराध
  • राजनीति
  • शिक्षा

ताजा खबरे

  • जैन तीर्थ नैनागिरि में फिर टूटे ताले
  • महर्षि बाबूलाल शास्त्री जयपुर में वैदिक संस्कृति संरक्षक एवं महामहोपाध्याय पंडित राजेन्द्र शास्त्री पाण्डेय सम्मान से सम्मानित
  • जो प्यासे हो तो साथ रखो अपना पानी भी,विरासत में तुम्हें कोई कुआं नहीं देगा। डॉ. निर्मल जैन (से.नि.जज)
  • सम्प्रदायवाद,जातिवाद से दूर सभी संत,पंथ को स्वीकार्य धर्म के दशलक्षण-डॉ निर्मल जैन (से.नि.) जज
  • *दिव्य मंत्र महाविज्ञान*
  • *जैन मंदिर में आयोजित हुआ विधान व वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव*
  • नौकरी, पदोन्नति और ज्योतिष-पारसमणि जैन*ज्योतिष विचारक* दिल्ली
  • #जैन धर्म का अति प्राचीन तीर्थ है गिरनार # डा.पवन गौड
  • Home
  • Contact Us