समाज में अनावश्यक नवनिर्मित मठ-मंदिर मत बनाओ जो बनें हैं उन्हें बचाओ का आंदोलन शुरू होना चाहिए तभी हमारी समाज का पैसा तितर-बितर होने से बचेगा और हमारे तीर्थ बचेंगे। सिर्फ *गाल के ढोल* और कुछ चुनिंदा समाज के ठेकेदार व संतों के लच्छेदार बोल में फंसे रहोगे तब तक तीर्थ बचाओ मंदिर बचाओ चिल्लाने से कुछ नहीं होगा। अगर समय रहते हुए इन्हें रोका नहीं गया तो “यह लच्छेदारी बोल वाले अपने अपने समय अनुसार मर जायेंगे लेकिन आने वाली पीढ़ियों के लिए *जी का जंजाल* पैदा कर जायेंगे।”