उत्साह शक्ति के द्वारा कोई भी सफलता के शिखर पर पहुँच सकता है👉आ. विभव सागर जी महाराज
उत्साह शक्ति के द्वारा कोई भी सफलता के शिखर पर पहुंच सकता है। व्यक्ति अपना व्यावसायिक, गृहस्थ जीवन, धर्म और मोक्ष संभाल सकता है जो उमंग से भरा हुआ हो।
जीवन की हर उपलब्धि उसे ही हासिल हो सकती है जो व्यक्ति उत्साह से भरा हुआ होता है। बच्चों को डाँटो मत, उत्साहित करो आप अपने बच्चों को अच्छे संस्कार सिखाने के लिए डांटने का तरीका बदल दीजिए। आप उन्हें उत्साहित कीजिए कि तुम बड़े होकर जैसा बनना चाहते हो वह सब लोग ऐसा नही करते है और उन्हें अच्छे कार्यो के लिए प्रेरित कीजिए।
आज आचार्य श्री विभव सागर महाराज ने गुमास्ता नगर मंदिर मैं प्रवचन देते हुए शिक्षकों, अभिवावकों और माताओं को समझाया। आचार्य श्री ने कहा
आज बच्चों के नाम चीकू, काजू आदि रखे जाते हैं जबकि महापुरुषों के नाम से बुलाए जाने पर उनके भाव भी वैसे बनने लगते हैं इसीलिए पहले बच्चों के नाम महापुरुषों के नाम से रखे जाते थे।
जो पात्र रामलीला में राम का अभिनय करता है उसको भी अपने आप को राम जैसा महसूस करना होता है, तभी वह राम जैसा अभिनय कर सकता है।
जितने बड़े-बड़े लोग हुए हैं वह मां की पेट से महान नहीं बने, उसके लिए पुण्य और भाग्य दोनों चाहिए होता है। गाय के बछड़े के लिए मां के आंचल में दूध भाग्य से आता है पर पीने का पुरुषार्थ तो उसे करना ही पड़ेगा।
यह भी सत्य है कि पुरुषार्थ में नहीं लिखा है कि अमुक व्यक्ति चपरासी बनेगा या सौधर्म इंद्र जैसा प्रतिष्ठित पद प्राप्त करेगा।
इसके लिए आपको अपने भावों की दशा बदलना पड़ेगी इसमें “श्री” (संपत्ति) कुछ भी नहीं करेगी।
अपने पूर्व के भावों को याद करो कितना पुण्य किया होगा कि वर्तमान में सब कुछ तुम्हारे पास है। सोचो अगली पर्याय के लिए हम ऐसा क्या कर रहे हैं जिससे हमें यह सब पुनः प्राप्त हो सकेगा।
‘श्री’ का त्याग करने से ही “श्रीजी” बना जा सकता है।
इस अवसर पर प्रिंसिपल टोंग्या, टी के वेद, चौधरी जी, वीरेंद्र जी कबाड़ी, मनोज जैन वकील, काला जी, सुभाष सेठिया आदि उपस्थित थे। मीडिया प्रभारी श्री संजीव जैन संजीवनी ने बताया कि कार्यक्रम का संचालन वाणी भूषण श्री टी के वेद ने किया।
सुबह 8:00 बजे से आचार्य श्री ने कांच मंदिर से गुमास्ता नगर के लिए बिहार किया था एवं आहार चर्या का सौभाग्य श्री टी के वेद- मंजू वेद परिवार को प्राप्त हुआ।
👉संजीव जैन “संजीवनी”