आचार्य श्री ने प्रवचन में कहा जब तक भगवान नहीं मिलते तब तक आचार्य परमेष्ठी की शरण लेवे
⛳इंदौर (तिलक नगर 13jan) दिगम्बर जैन समाज के सबसे बड़े संत आचार्य श्री १०८ विद्या सागर जी महाराज ने तिलक नगर में प्रवचन दिए। इस अवसर पर आचार्य श्री ने कहा की भगवान की प्रतीक्षा तब तक होती है जब तक वो आते नहीं है। उस समय तक आचार्य परमेष्टि की शरण ली जाए।
👉यह जानकारी देते हुए बाल ब्रह्मचारी सुनिल भैया और मीडिया प्रभारी राहुल सेठी ने बताया की आचार्य श्री ने कहा कि दिन का प्रकाश 12 घंटे के बाद होता है। सूर्य के आभाव में 12 घंटे के लिए प्रकाश पुँज वंक्षित हो जाता है। हम लोगो का भी ऐसा ही है, जब तक महापुरुष होते है, तब तक प्रकाश फैलता रहता है। फिर भी हम दूसरों से भी काम चला सकते है, वह एक औपचारिकता ही नहीं किन्तु आस्था का विषय है। तो दिन रहते जो कार्य नहीं कर पाया, तो कैसे करेंगे? तो मैं कहता हूँ की दीपक जलाओ। दीपक क्या वस्तु है, कैसे जलाए, उसे जलाने की क्या आवश्यकता है और आप तो सूर्य को भूल ही गए कि सूर्य के द्वारा ही कार्य होता है। ये धारणा बन चुकी है कि जब तक सूर्योदय नहीं होगा, तब तक काम नहीं होगा।
आचार्य श्री ने आगे इस बात को समझाते हुए कहा कि जब तक भगवान नहीं मिलते , तब तक आचार्य परमेष्ठि की शरण ले करके और जिनवाणी का आधार ले करके हमें कार्य करना आवश्यक है, बाद में भगवान से आमना सामना तो होगा ही। दीपक के उदाहरण के माध्यम से समझाते हुए आचार्य श्री ने कहा कि दीपक जलाओ तो एक व्यक्ति दीपक जलाता है, लेकिन बुझ जाता है,तेल खत्म होने की वजह से! आप लोग भी अपने जीवन का तेल अर्थात स्नेह एवं झुकाव डालते रहो। पुनः तेल डालकर दीपक जलाता है, फिर बुझ जाता है, अब तेल भी है, बाती भी है,फिर क्यू बुझ गया?इसलिए बुझ गया क्योंकि तेल उतना ही डाला जितना बाती को भी छू नहीं पा रहा था। इसी प्रकार आप अपने भावों की बाती को देखो कि कितना तेल डाला है। हम तो थोड़ा सा तेल डालते और सब बोलते की हम भगवान की तरह प्रकाश चाहते है, कंजूस लोगो सुनो, सुन रहे हो न….देखो माता पिता ने नाम रखा,हमने तो एक साथ सबको कंजूस कह दिया…तेल जरा बाती को लपट तो जाए, पुनः दीपक जलाया लेकिन फिर बुझ गया। जलने बुझने की क्रिया 2-3 बार हो गई,अब क्यों बुझ रहा? कई कारण होते है, एक एक करके कारण पूर्ण होते है,जब जाकर कोई कार्य संपन्न होता है। अब तो तेल है,बाती है, तेल में बाती डूब भी गई है, सब कुछ है तो क्यों बुझ गया दीपक? क्योंकि दीपक पुराना हो गया है और बाती के ऊपर परत आ गई है, ऐसा करो तर्जनी ऊँगली और अंगूठे से बाती को ऊपर से गोल करो और साफ़ करो, जिससे दीपक लौ लेकर जलेगा। उसी प्रकार आप लोगो को भी मोह की काली परत बार बार साफ़ करके आया करो, तो बोलिया अच्छी लगती है (मुस्कुराते हुए) लौ अच्छी होगी तो प्रकाश अच्छा दिखेगा। आप लोगो की बाती दिखती तो है लेकिन आप साफ़ नहीं करते। बाती साफ़ करते समय वह परत उंगलियों में भी चिपक जाती है, उसे साबुन वगैरह से धोना पढता, तब जा करके वह मोह की परत उतरती है। अनंत काल से आप लोगो ने जगाया नहीं है और आप कह रहे है कि प्रकाश पूरा मिल जाए, ऐसे नहीं मिलेगा, मिलेगा तो लेकिन थोड़ा थोड़ा ही मिलेगा।भगवान की प्रतीक्षा जब तक वह आते नहीं, जब तक उनसे सम्बन्ध नहीं होता जब तक आपको ये व्यव्यस्था दी गई है। कल रविवार था,आज नहीं है, आज थोड़ी सी संख्या कम है, सब दुकान खोलने में व्यस्त होंगे। सब कोर कमेटी के लोग कार्य करते रहे। समय बहुत मौलिक है, आपके धन से भी ज्यादा आपका समय अमूल्य है, ऐसा समझ के काम करेंगे तो इतना बड़ा काम संपन्न हो जाएगा। संचालन ब्रह्मचारी सुनिल भैया ने किया था।
* आहार का सौभाग्य इस परिवार को मिला*
👉आचार्य श्री को आहार कराने का सौभाग्य दयोदय चेरिटेबल फ़ाउंडेशन ट्रस्ट के ट्रस्टी सचिन जैन उद्योगपति परिवार को प्राप्त हुआ। आचार्य श्री की पूजा का सौभाग्य दि. जैन उदासीन आश्रम एवं दि. जैन पोरवाड़ समाज को मिला। पाद प्रक्षालन का सौभाग्य नविन जैन( बंडा वाले), ब्र.धर्मचंद जी, रवि जैन को मिला। आज के मुख्य अतिथि बनारस जेल में हथकरघा बुनकर समिति के अंशुमान गुप्ता जी (डिप्टी कलेक्टर) जिनका ट्रांसफर इंदौर हुआ है। उन्होंने आचार्य श्री से आशीर्वाद लिया। इसी तरह विधायक महेंद्र हार्डिया, पार्षद आशा होलास सोनी के साथ गोम्मटगिरी ट्रस्ट से अध्यक्ष कमल सेठी, सुरेन्द्र जैन बाकलीवाल एवं बनेडिया ट्रस्ट से अध्यक्ष अनिल गंगवाल, जैनेश झांझरी सहित पदाधिकारी ने श्रीफल अर्पित किए है ।समस्त जानकारी राहुल सेठी ओर सोमिल जैन ने दी।
*संकलन :- राष्ट्रीय संवाद दाता पारस जैन ” पार्श्वमणि पत्रकार कोटा (राज)*