बीमार होने का समय ही नहीं मिला !!
रतलाम-:अच्छा काम किया नहीं जाता हो जाता है। व्यक्ति यदि सच्चे मन और पूर्ण ईमानदारी से काम करता है तो उसके द्वारा स्वतः अच्छे कार्य अनायास ही हो जाते हैं। यदि हम निश्छल भाव से कार्य करते रहते हैं तो उसके परिणाम हमें तत्काल ज्ञात नहीं होते किन्तु आगे पीछे उसके अच्छे परिणाम स्वतः परिलक्षित होने लगते हैं जब आपके द्वारा किये गये किसी के प्रति अच्छे कार्य का वह व्यक्ति आपको धन्यवाद या आभार प्रकट करने आ जाता है। ये विचार प्रकट किये!
श्रमणाचार्य श्री विमदसागर जी महाराज ने सोमवार को उनके ही 44वें जन्मोत्सव समारोह के उपलक्ष्य में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम के अवसर पर। इस अवसर पर अपनी विनयांजलि प्रस्तुत करते हुए विद्वत् परिषद् महामंत्री डाॅ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’ ने कहा कि आचार्य विमदसागर जी जैसे संत ही समाज को नई दिशा प्रदान कर सकते है क्योंकि जनता आपके द्वारा बताये मार्ग का बहुत जल्दी अनुशरण करती है, अपने आदर्श धर्मगुरु का आदेश मानकर अनुपालन करती है।
दिगम्बर जैन मुनिसेवा चातुर्मास समिति रतलाम के अध्यक्ष अर्पण जैन, महासचिव सौरभ जैन, कोषाध्यक्ष दीपेश जैन गड़िया, दिगम्बर जैन समाज रतलाम के अध्यक्ष चंद्रसेन गड़िया तथा देश के विभिन्न प्रांतों से पहुंचे भक्तों ने अपनी विनयांललि प्रस्तुत की।
उस समय बहुत विनोदपूर्ण महौल बन गया जब श्रमणाचार्य श्री को विनयांजलि समर्पित करने के क्रम में नगर की एक महिला ने बोलना प्रारंभ किया। आचार्यश्री के प्रति समर्पित इस महिला ने कहा कि विगत चार माह से आचार्यश्री के द्वारा जैन धर्म की प्रभावना संस्कार प्रदान व धार्मिक कार्यकलापों के इतने व्यस्त कार्यक्रम करवाये जा रहे हैं कि उन्हें अपने पति से लड़ाई झगड़ा करने का समय ही नहीं मिलता, न मोबाइल पर चैट कर पा रहे हैं, न बच्चों को डाटने का समय मिल रहा है, न पड़ौसन की चुगली-बुराई करने का समय मिल पा रहा है। और तो और हमें बीमार होने का भी समय नहीं मिला। इस महिला के निश्छल मन की बातें सुन कर उपस्थित लोग ठहाके लगाते रहे। सामान्य सी दिखने वाली इस महिला ने कहा बड़े सबेरे से पूजा अभिषेक में आओ, फिर स्वाध्याय, प्रवचन, चैका लगाकर आहार की व्यवस्था, सबको भोजन करनाने के बाद देापहर की क्लास, प्रतिक्रमण, सायं का भोजन, फिर आनंद यात्रा, आरती, शास्त्र प्रवचन दिनभर थक कर सोना, पुनः वही कार्यक्रम ऐसे में हमें बीमार होने का कोई समय ही नहीं मिला, न पति की मीन मेख निकल कर उनसे लड़ने झगड़ने का समय मिला।
-डाॅ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’, इन्दौर 9826091247