आगरा, 9 मई । 9 मई को आचार्य सौरभसागर जी महाराज ने शांतिसागर सभागार आगरा में आयोजित छहढाला प्रवचन सभा में बोलते हुये आगे कहा कि आज मन्दिरों में भी ढंग का धर्म कम और ढोंग का धर्म अधिक प्रारम्भ हो गया है। शांतिधारा मे मन्त्र कम नाम ज्यादा बुल रहे हैं, वीतरागता की जगह वित्तरागता की पूजा अधिक हो रही है, उन्होंने कहा कि तीर्थ क्षेत्रों के विकास के लिये तक तो यह ठीक लगती थी, परन्तु मौहल्ले और कौलोनी के मन्दिरों में यह व्यवस्था उबाऊ होती जा रही है। अभिषेक शांतिधारा व्यवस्था इतने लम्बे हो जाते हैं कि आज लोगों ने अभिषेक को इतना महत्व दे दिया है कि अष्ट द्रव्य से पूजन गौड़ होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज धर्म को अनपढ़ों से नहीं कुपडों से खतरा है। उन्होंने साधुओं और पन्थों के नाम पर मन्दिर और क्षेत्रों को न बांटने की सलाह दी।
उन्होंने कहा कि सबसे पहला धर्म करुणा है, लेकिन जिस प्रकार से देश में धड़ाधड़ कत्लखाने खोल मांस निर्यात किया जा रहा है, उससे अहिंसा परमो धर्म के नारे भी खोखले पड़ते जा रहे हैं।
छहढाला के प्रवचन दि.11 तक चलेंगे, 12 को सभी कि आसान सी परीक्षा व 13 व 14 को सकल समाज आगरा द्दारा पूज्य श्री के सानिध्य मे प्रातय 6.30 से 9.30 तक दो दिवसिय कल्याण मन्दिर विधान का भव्य आयोजन होगा जिससे सभी शिविरार्थी भी बैठेंगे।
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