इंदौर:- लोगों से गले मिले और सच्चे हृदय से एक दूसरे क्षमा मांगे, और क्षमा करें।
जो साथ में रहते हैं, एक सुंदर सरोवर की तरह रहें जिसमें कमल खिले हुए हो। पुष्पों की सुगंध लेना पर कांटे मत डालना। पूर्व में कुछ गलत हो गया हो तो क्षमा मांग लेना।
आज यह बात पंडित रतन लाल शास्त्री ने समवशरण दिगंबर जैन मंदिर पर आयोजित सामूहिक क्षमावाणी के अवसर पर कही ।
उन्होंने कहा कि
क्षमा मांगने से पहले अपने भावों की विशुद्धि कर लेना कोई तुम्हें क्षमा करें, ना करें तुम उसको क्षमा कर देना।
क्षमा सर्वप्रथम हमें अपने परिवार के लोगों से, पत्नी और बच्चों से मांगनी चाहिए। इन्हीं के मध्य सबसे ज्यादा गलतियां होती हैं। इसके बाद हमें अन्य सभी से क्षमा मांगनी चाहिए।
इस अवसर पर पंडित प्रकाश छाबड़ा जी ने भी अपने उद्गार व्यक्त किए और बताया कि क्षमा धारण करने से हमारा मन पवित्र होता है पर्यूषण पर्व आत्म शुद्धि का पर्व है और क्षमा के बगैर आत्म शुद्धि असंभव है।
समाज के संजीव जैन संजीवनी ने बताया कि सभा को संबोधित करते हुए समाज की अध्यक्षा श्रीमती रानी दोषी ने उनके द्वारा की गई ज्ञात और अज्ञात गलतियों के लिए क्षमा मांगी और सबको क्षमा किया।
ट्रस्ट की ओर से श्री माणकचंद अजमेरा ने सभी का आभार माना। कार्यक्रम का संचालन श्री हंसमुख गांधी ने किया।
सुबह अभिषेक और शांति धारा करने का सौभाग्य विपुल जैन,नाथूराम चौधरी, अशोक जी, अभय जैन को मिला। इस अवसर पर एमके जैन, महेश कोटिया, संजय जैन व सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे।👉संजीव जैन संजीवनी